प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के अवसर पर देशभर के शिक्षकों को हार्दिक शुभकामनाएं दीं। उन्होंने शिक्षकों को राष्ट्र निर्माण का स्तंभ बताया और कहा कि उनके बिना समाज और देश का भविष्य अधूरा है।
राधाकृष्णन को श्रद्धांजलि
पीएम मोदी ने अपने संदेश में पूर्व राष्ट्रपति और महान शिक्षक डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन को याद करते हुए कहा कि उनकी जयंती को ही शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। उन्होंने कहा, “गुरु केवल शिक्षा नहीं देते, बल्कि संस्कारों से जीवन को प्रकाशित करते हैं। हमारी संस्कृति में गुरु का स्थान सर्वोपरि है।”
कबीरदास की पंक्तियों का उल्लेख
प्रधानमंत्री ने संत कबीर के दोहे का उल्लेख करते हुए कहा कि गुरु के गुण इतने असीम हैं कि यदि धरती कागज हो, वन कलम बन जाएं और समुद्र स्याही बन जाए, तब भी गुरु का वर्णन पूरा नहीं किया जा सकता।
शिक्षा नीति 2020 पर जोर
पीएम मोदी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को समय की मांग बताया। उन्होंने कहा कि यह नीति विद्यार्थियों में सृजनात्मकता, शोध की प्रवृत्ति और डिजिटल दक्षता को प्रोत्साहित करती है। साथ ही मातृभाषा में शिक्षा और भारतीय संस्कृति से जुड़ाव पर भी इसका विशेष बल है।
शिक्षकों की अहम भूमिका
उन्होंने कहा, “नई शिक्षा नीति के सफल क्रियान्वयन में शिक्षकों का योगदान सबसे महत्वपूर्ण है। शिक्षक केवल ज्ञान के वाहक नहीं बल्कि विद्यार्थियों को जिम्मेदार नागरिक बनाने वाले मार्गदर्शक भी हैं।”
अमृतकाल में जिम्मेदारी
पीएम मोदी ने इस अवसर पर कहा कि अमृतकाल में जब भारत विकसित राष्ट्र की ओर बढ़ रहा है, तब शिक्षकों का दायित्व और भी बड़ा हो जाता है। “शिक्षक ही भारत को ज्ञान-शक्ति संपन्न राष्ट्र बनाने में अग्रदूत बनेंगे।”
समर्पण को नमन
अपने संदेश के अंत में प्रधानमंत्री ने सभी शिक्षकों और शिक्षा जगत से जुड़े लोगों को उनके समर्पण, तप और प्रेरणा के लिए प्रणाम किया और शिक्षक दिवस की शुभकामनाएं दीं।