इस हफ्ते शेयर बाजार में निवेशकों का भरोसा लौटता दिखा। सरकार की ओर से GST दरों में कटौती का ऐलान कंपनियों और निवेशकों के लिए वरदान साबित हुआ। देश की टॉप-10 कंपनियों में से 7 की मार्केट वैल्यू मिलकर ₹2.06 लाख करोड़ तक बढ़ गई।
कौन-कौन सी कंपनियां फायदे में रहीं?
-
बजाज फाइनेंस – सबसे ज्यादा बढ़त, ₹37,961 करोड़ का मार्केट कैप बढ़ा
-
रिलायंस इंडस्ट्रीज (RIL) – ₹23,344 करोड़ का इजाफा
-
HDFC बैंक, SBI और LIC – इन दिग्गज कंपनियों में भी निवेशकों की खरीदारी दिखी
घाटे में रही कंपनियां
आईटी और एफएमसीजी सेक्टर की बड़ी कंपनियों पर दबाव रहा।
-
TCS, इंफोसिस और हिंदुस्तान यूनिलीवर – तीनों का संयुक्त मार्केट कैप ₹29,731 करोड़ घटा
-
सबसे ज्यादा नुकसान TCS को हुआ, ₹13,007 करोड़ की गिरावट
सेंसेक्स-निफ्टी का हाल
-
शुक्रवार (5 सितंबर) को बाजार में 750 अंकों का उतार-चढ़ाव रहा
-
आखिर में सेंसेक्स सिर्फ 7 अंक गिरकर 80,711 पर बंद हुआ
-
निफ्टी 7 अंक बढ़कर 24,741 पर बंद हुआ
सेंसेक्स के 30 शेयरों में से 14 बढ़े और 16 गिरे।
-
टॉप गेनर: महिंद्रा, मारुति, रिलायंस (2% तक चढ़े)
-
टॉप लूजर: ITC, HCL टेक, TCS (2% तक गिरे)
निफ्टी के 50 शेयरों में से 28 हरे निशान में और 22 लाल निशान में रहे।
-
ऑटो, मीडिया और मेटल इंडेक्स मजबूत बंद हुए
-
वहीं IT, FMCG और रियल्टी इंडेक्स 1.4% तक टूट गए
मार्केट कैप क्या होता है?
मार्केट कैप यानी किसी कंपनी की कुल मार्केट वैल्यू।
फॉर्मूला:
कंपनी के जारी शेयरों की संख्या × शेयर की कीमत
उदाहरण:
अगर किसी कंपनी के 1 करोड़ शेयर मार्केट में हैं और हर शेयर की कीमत ₹20 है, तो कुल मार्केट कैप = ₹20 करोड़।
क्यों बदलता है मार्केट कैप?
-
शेयर प्राइस बढ़े → मार्केट कैप बढ़ेगा
-
शेयर प्राइस गिरे → मार्केट कैप घटेगा
बढ़ने के कारण: मजबूत नतीजे, पॉजिटिव न्यूज, निवेशकों का भरोसा
घटने के कारण: कमजोर रिजल्ट, निगेटिव सेंटिमेंट, अर्थव्यवस्था पर दबाव
असर कंपनी और निवेशकों पर
-
कंपनी पर: ज्यादा मार्केट कैप का मतलब है कंपनी को निवेश जुटाने, लोन लेने और नई डील्स करने में आसानी।
-
निवेशकों पर: मार्केट कैप बढ़ने से उनके शेयरों की वैल्यू बढ़ती है यानी सीधा फायदा। वहीं गिरावट होने पर उनकी संपत्ति घटती है।
उदाहरण: अगर TCS का मार्केट कैप ₹12.43 लाख करोड़ से और ऊपर जाता है, तो निवेशकों की संपत्ति में भी उतनी ही तेजी से बढ़ोतरी होगी।