श्रम विभाग में पंजीकृत श्रमिकों को योजना से जोड़ने के दिये निर्देश…
धमतरी : कलेक्टर श्री ऋतुराज रघुवंशी की अध्यक्षता में आज कलेक्टोरेट सभाकक्ष में प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के प्रगति की समीक्षा की गई। इस अवसर पर कलेक्टर ने योजना के तहत अब तक किये गये पंजीयन की जानकारी संबंधित अधिकारियों से ली। बैठक में जिला स्तर पर प्राप्त 63 आवेदनों का अनुमोदन करते हुए राज्य स्तर पर प्रेषित करने की कार्यवाही की गई। कलेक्टर श्री रघुवंशी ने कहा कि केन्द्र सरकार की इस महती योजना का लाभ अधिक से अधिक हितग्राहियों को मिले, इसके लिए अधिक से अधिक लोगों का पंजीयन करना सुनिश्चित करें। बैठक में अपर कलेक्टर श्री जी.आर.मरकाम, श्रम पदाधिकारी श्री डी.एन.पात्र, लीड बैंक मैनेजर श्री सत्यप्रकाश, एमएसएमईएस भारत सरकार श्री किशोर इरपाटे के अलावा अन्य विभागों के अधिकारी उपस्थित थे।
इस अवसर पर महाप्रबंधक, जिला व्यापार एवं उद्योग केन्द्र ने बताया कि योजना के तहत 18 प्रकार के चयनित ट्रेड वाले पारंपरिक शिल्कारों और कारीगरों को लाभान्वित किया जायेगा। इनमें बढ़ई, नाव बनाने वाले, अस्त्र बनाने वाले, लोहार, ताला बनाने वाले, हथौड़ा और टूल किट निर्माता, सोनार, कुम्हार, मूर्तिकार, मोची, राजमिस्त्री, डलिया चटाई झाडू बनाने वाले, पारंपरिक गड़िया और खिलौने बनाने वाले, नाई, मालाकार(पुष्प सज्जा), धोबी, दर्जी, मछली जाल बनाने वाले शामिल हैं। ज्ञात हो कि पारंपरिक शिल्पकारों और कारीगरां को सहायता के लिए केन्द्रीय योजना अंतर्गत ग्राम पंचायतों में स्थित ग्राहक सेवा केन्द्र (सीएससी) में प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के तहत पंजीयन शुरू हो गया है। इसके लिए पारंपरिक शिल्कार एवं कारीगर आधार कार्ड एवं लिंक मोबाईल नंबर तथा बैंक पासबुक के साथ अपने नजदीक के ग्राहक सेवा केन्द्र (सीएससी) में पंजीयन करा सकते हैं।
उन्होंने यह भी बताया कि योजना के तहत चयनित हितग्राहियों को प्रमाण पत्र और विश्वकर्मा परिचय पत्र प्रदाय किया जायेगा। इन कारीगरों के पारंपरिक कौशल को निखारने के लिए पांच से सात दिन का निःशुल्क आवासीय युक्त प्रशिक्षण की व्यवस्था की जायेगी, जिसमें 500 रूपये प्रति दिन की दर से छात्रवृत्ति प्रदाय किया जायेगा। सफलतापूर्वक प्रशिक्षण पूर्ण करने के बाद यंत्र एवं औजार के लिए 15 हजार रूपये का अनुदान सहायता भी उपलब्ध कराया जायेगा। इच्छुक हितग्राहियों को पहले चरण में एक लाख रूपये तक और दूसरे चरण में दो लाख रूपये तक की वित्तीय सहायता मात्र 5 प्रतिशत ब्याज दर पर बैंकों द्वारा उपलब्ध कराया जायेगा। डिजीटल ट्रांजेक्शन करने पर हितग्राही को प्रति ट्रांजेक्शन 1 रूपये का फायदा होगा। बैठक में बताया गया कि इकाई स्थापना के बाद उत्पादों के डिजाइन एवं विपणन के लिए ब्राण्ड उन्नयन आदि के लिए विशेषज्ञ सहायता उपलब्ध करायी जायेगी।