7 सितंबर 2025 की रात भारतवासियों के लिए खगोल विज्ञान का एक अनोखा अवसर लेकर आई। इस दिन साल का अंतिम पूर्ण चंद्रग्रहण देखने को मिला। रात करीब 82 मिनट तक चांद ने अपनी खूबसूरत लालिमा से आसमान को रंग दिया।
कब और कैसे दिखा यह नजारा?
ग्रहण का आरंभ होते ही चांद धीरे-धीरे पृथ्वी की छाया में समा गया और मध्यरात्रि तक पूरी तरह लाल हो उठा।
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ग्रहण की शुरुआत शाम को हुई और यह रात 1:26 बजे तक चला।
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इस दौरान चांद पर पड़ा पृथ्वी की छाया का गाढ़ा लाल रंग, जिसे आम भाषा में ब्लड मून कहा जाता है, पूरे भारत में साफ दिखाई दिया।
बड़े शहरों से लेकर छोटे कस्बों तक
दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, बेंगलुरु समेत देश के लगभग हर हिस्से में लोग इस अद्भुत दृश्य के साक्षी बने।
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लाखों लोगों ने इसे नंगी आंखों से देखा।
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सोशल मीडिया पर इसके शानदार फोटो और वीडियो वायरल होते रहे।
धार्मिक और सांस्कृतिक पहलू
भारतीय मान्यताओं के अनुसार चंद्रग्रहण के दौरान सूतक काल लगता है।
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इस बार सूतक दोपहर 12:58 बजे से शुरू हुआ।
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श्रद्धालुओं ने पूजा-पाठ से दूरी बनाकर ग्रहण समाप्ति के बाद स्नान और दान-पुण्य किया।
खगोल विज्ञान के लिहाज से खास
इतनी लंबी अवधि का पूर्ण चंद्रग्रहण दुर्लभ माना जाता है।
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खगोलविदों के अनुसार भारत में अगला ऐसा दृश्य अब वर्ष 2028 में देखने को मिलेगा।
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वैज्ञानिकों का कहना है कि यह प्राकृतिक घटना पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा की अद्भुत स्थिति को दर्शाती है।
यह ब्लड मून न सिर्फ वैज्ञानिक दृष्टि से खास रहा बल्कि आम लोगों के लिए भी यादगार पल बन गया।