छत्तीसगढ़ के स्टील से मिज़ोरम में नया इतिहास – 114 मीटर ऊंचा रेलवे ब्रिज तैयार, देश का दूसरा सबसे बड़ा पुल

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भिलाई स्टील प्लांट (BSP) का लोहा एक बार फिर भारत की ऐतिहासिक उपलब्धि का हिस्सा बना है।
दुनिया के सबसे ऊंचे चिनाब ब्रिज, स्टैच्यू ऑफ यूनिटी और एयरक्राफ्ट कैरियर INS विक्रांत के बाद अब मिजोरम की राजधानी आइजोल में बने 114 मीटर ऊंचे पियर रेलवे ब्रिज में भी छत्तीसगढ़ का स्टील इस्तेमाल हुआ है।

यह ब्रिज बइरबी-सायरंग रेल प्रोजेक्ट का हिस्सा है और देश का दूसरा सबसे ऊंचा रेलवे ब्रिज है। इसके बनने से न सिर्फ मिजोरम राजधानी पहली बार रेल नेटवर्क से जुड़ी है, बल्कि अब सिलचर से आइजोल का सफर 7 घंटे से घटकर सिर्फ 3 घंटे में पूरा हो सकेगा।


भिलाई स्टील प्लांट का रोल – 30-35 हजार टन स्टील

  • ब्रिज निर्माण के लिए भिलाई स्टील प्लांट (BSP) से लगभग 30 से 35 हजार टन स्टील भेजा गया।

  • इसमें टीएमटी बार, प्लेट्स, गर्डर और स्ट्रक्चरल स्टील शामिल हैं।

  • अकेले BSP से ही 6,522 टन टीएमटी, 7,450 टन प्लेट्स और 60 टन स्ट्रक्चरल स्टील सप्लाई किया गया।

  • इसके अलावा बोकारो, दुर्गापुर, राउरकेला और बर्नपुर जैसे अन्य सेल प्लांट्स ने भी सहयोग किया।


चिनाब ब्रिज और अन्य मेगा प्रोजेक्ट्स में भी BSP का योगदान

  • चिनाब नदी पर बने दुनिया के सबसे ऊंचे रेलवे ब्रिज में भी भिलाई स्टील का इस्तेमाल हुआ।

  • 12432 टन स्टील अकेले भिलाई प्लांट से सप्लाई किया गया था।

  • BSP का स्टील स्टैच्यू ऑफ यूनिटी, अटल सुरंग, सेला सुरंग, बांद्रा-वर्ली सी लिंक और INS विक्रांत में भी लगाया जा चुका है।


बइरबी-सायरंग रेल प्रोजेक्ट – 10 साल की मेहनत

  • प्रोजेक्ट की शुरुआत 2014 में हुई थी।

  • शुरू में लागत ₹5020 करोड़ आंकी गई थी, लेकिन दुर्गम पहाड़ियों और सुरंगों के कारण बढ़कर ₹8071 करोड़ तक पहुंच गई।

  • कुल लंबाई – 51.38 किमी, जिसमें

    • 45 सुरंगें

    • 153 पुल

    • और 114 मीटर ऊंचा मेगा पियर ब्रिज शामिल है।

  • ट्रैक का 31% हिस्सा सुरंगों में और 23% पुलों पर है।


निर्माण की कठिनाइयाँ

  • यह रेल लाइन दुर्गम पहाड़ियों और घने जंगलों से होकर गुजरती है।

  • सामान पहुंचाने के लिए रेलवे को 200 किलोमीटर लंबी अतिरिक्त सड़क बनानी पड़ी।

  • पूरे प्रोजेक्ट में 10 साल से ज्यादा का वक्त लगा।


मिजोरम के लिए ऐतिहासिक पल

  • पहली बार आइजोल राजधानी भारत के रेल नेटवर्क से जुड़ी।

  • गुवाहाटी अब सिर्फ 12 घंटे और दिल्ली 48 घंटे में ट्रेन से पहुंची जा सकेगी।

  • बारिश और भूस्खलन से प्रभावित सड़क मार्ग की तुलना में रेल सफर अब सुरक्षित और तेज़ होगा।

  • आगे यह लाइन म्यांमार बॉर्डर तक ले जाने की योजना है।


पीएम मोदी कर सकते हैं उद्घाटन

रेलवे सूत्रों के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसी महीने इस प्रोजेक्ट का उद्घाटन कर सकते हैं।
शुरुआत में यहां से 2-3 ट्रेनें चलाने की योजना है। भविष्य में राजधानी एक्सप्रेस और वंदे भारत ट्रेनों को भी जोड़ा जा सकता है।


निचोड़

छत्तीसगढ़ का भिलाई स्टील प्लांट सिर्फ राज्य की पहचान नहीं, बल्कि भारत की हर बड़ी उपलब्धि का अहम हिस्सा बन चुका है।
चाहे दुनिया का सबसे ऊंचा ब्रिज (चिनाब) हो, देश का सबसे बड़ा पियर ब्रिज (सायरंग) या फिर राष्ट्रीय धरोहर स्टैच्यू ऑफ यूनिटी – हर जगह छत्तीसगढ़ का लोहा भारत की मजबूती की गवाही देता है।

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