देश में पालतू जानवरों की तस्करी बढ़ी – 5 साल में 4 गुना उछाल, मुंबई एयरपोर्ट बना सबसे बड़ा हब

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भारत में विदेशी नस्ल के पालतू जानवरों की डिमांड तेजी से बढ़ रही है। यही वजह है कि पिछले पांच सालों में जिंदा जानवरों का आयात चार गुना उछलकर 45 हजार से ज्यादा हो गया है। लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि इस तेजी के बावजूद न तो प्रक्रिया में पारदर्शिता है और न ही सरकारी स्तर पर पूरी जवाबदेही तय हो पाई है।


मुंबई एयरपोर्ट तस्करी का हॉटस्पॉट

जुलाई 2025 में एक पशु कल्याण कार्यकर्ता ने महाराष्ट्र सरकार को अपील भेजकर बताया था कि मुंबई एयरपोर्ट विदेशी पालतू जानवरों की तस्करी का मुख्य केंद्र बन गया है।
इसके बाद अगस्त 2025 में नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) हरकत में आया और सख्त दिशा-निर्देश जारी किए।

  • अब किसी भी विमान में बिना घोषित जिंदा जानवर पाए जाने पर उसे तुरंत उसके देश वापस भेजना अनिवार्य होगा।

  • इसकी जिम्मेदारी एयरलाइन की होगी।

  • साथ ही एयरलाइंस स्टाफ को जानवरों की पहचान और दस्तावेज जांच की ट्रेनिंग देना जरूरी कर दिया गया है।


कौन-कौन से जानवर भारत लाए जा रहे हैं?

  • विदेशी नस्ल के कुत्ते और बिल्लियां

  • मकाऊ और अफ्रीकी ग्रे पैरेट जैसे दुर्लभ पक्षी

  • छिपकली और सांप जैसे सरीसृप

  • सजावटी मछलियां

  • कई बार डेयरी और प्रजनन के लिए पशुधन भी

इनमें से कई प्रजातियां संरक्षित हैं, जिन्हें पालतू या प्रदर्शन के लिए खरीदा जाता है। यही नहीं, इनके साथ एवियन फ्लू, रेबीज और निपाह जैसे खतरनाक संक्रमण का खतरा भी बढ़ जाता है।


कानून और नियम

भारत में विदेशी जानवरों का आयात केवल हेल्थ सर्टिफिकेट और टीकाकरण रिकॉर्ड के साथ ही किया जा सकता है।

  • Animal Quarantine & Certification Services (AQCS) के नियमों के तहत प्रजाति और देश के आधार पर क्वारेंटाइन अवधि तय होती है।

  • वन्यजीव संरक्षण अधिनियम और CITES संधि के तहत संरक्षित प्रजातियों के लिए अलग से परमिट लेना अनिवार्य है।


पारदर्शिता पर सवाल

दैनिक भास्कर की एक आरटीआई के जवाब में AQCS ने केवल सालवार कुल संख्या दी।

  • किस देश से कितनी प्रजातियां आईं, इसका कोई विवरण नहीं दिया गया।

  • डिपोर्ट या रिजेक्शन के मामलों का भी रिकॉर्ड साझा नहीं किया गया।

इससे साफ है कि सरकारी निगरानी और रिपोर्टिंग में अभी भी कमी और अपारदर्शिता बनी हुई है।


सोशल मीडिया और शौक ने बढ़ाया ट्रेंड

विदेशी नस्ल के पालतू जानवर रखने का शौक अब सोशल मीडिया का नया ट्रेंड बन चुका है।

  • कई सेलिब्रिटी और इन्फ्लुएंसर विदेशी नस्ल के पालतू जानवर दिखाकर ग्लैमर क्रिएट कर रहे हैं।

  • यही वजह है कि इस शौक ने तस्करी को और बढ़ावा दिया है।


DGCA और एयरलाइंस की तैयारी

DGCA के आदेशों के बाद इंडिगो और एयर इंडिया ने अपने स्टाफ के लिए स्पेशल ट्रेनिंग मॉड्यूल शुरू किए हैं।
इसमें शामिल है:

  • दस्तावेजों की बारीकी से जांच

  • जानवरों की सही पहचान

  • अवैध पाए जाने पर तुरंत डिपोर्टेशन प्रक्रिया


चौंकाने वाला तथ्य – 60% मामलों में अधूरे दस्तावेज

2025 की दूसरी तिमाही में हुई AQCS की समीक्षा में खुलासा हुआ कि

  • 60% मामलों में जानवरों के दस्तावेज अधूरे या गलत पाए गए।

  • यानी बड़ी संख्या में आयातित जानवर नियमों की सही जांच-पड़ताल के बिना ही भारत आ रहे हैं।


निष्कर्ष

विदेशी नस्ल के पालतू जानवरों का बढ़ता शौक भारत में तस्करी और संक्रमण दोनों के खतरे को जन्म दे रहा है।
मुंबई एयरपोर्ट इसका सबसे बड़ा हब बन चुका है। DGCA और एयरलाइंस की नई सख्ती के बावजूद, जब तक पारदर्शी निगरानी और जवाबदेही तय नहीं होगी, तब तक यह प्रवृत्ति थमेगी नहीं।

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