विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने सोमवार को हुई आपातकालीन BRICS वर्चुअल समिट में वैश्विक व्यापार नीतियों पर बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि दुनिया की अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने के लिए ज़रूरी है कि ट्रेड पॉलिसी निष्पक्ष, पारदर्शी और सबके लिए लाभकारी हो।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का नाम लिए बिना जयशंकर ने कटाक्ष किया और कहा– “व्यापार में दिक्कतें खड़ी करना या बाधाएं डालना किसी के हित में नहीं है। लेन-देन जितना आसान होगा, सबके लिए उतना बेहतर होगा।”
वर्चुअल समिट में कौन-कौन शामिल हुआ?
इस बैठक में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और ब्राजील के राष्ट्रपति लूला डा सिल्वा ने भी हिस्सा लिया। बैठक का मुख्य एजेंडा अमेरिका की टैरिफ पॉलिसी से पैदा हुई चुनौतियों पर चर्चा करना था। गौरतलब है कि अमेरिका ने भारत और ब्राजील जैसे देशों पर 50% तक टैरिफ लगाया है।
जिनपिंग का अमेरिका पर निशाना
समिट के दौरान चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा कि कुछ देशों द्वारा शुरू किए गए “ट्रेड वॉर और टैरिफ वॉर” ने वैश्विक अर्थव्यवस्था को कमजोर कर दिया है। उन्होंने BRICS देशों से अपील की कि वे मिलकर इन चुनौतियों का मुकाबला करें।
जयशंकर की 4 अहम बातें
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सप्लाई चेन मजबूत होनी चाहिए – संकट के समय सामान की कमी से बचने के लिए देशों को सहयोग बढ़ाना होगा।
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व्यापार घाटा कम करना ज़रूरी – भारत का सबसे बड़ा व्यापार घाटा चीन से है, जिसे संतुलित करना अहम है।
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वैश्विक संस्थाओं में सुधार की ज़रूरत – कोरोना, युद्ध और क्लाइमेट क्राइसिस जैसे मुद्दों पर संयुक्त राष्ट्र जैसे संगठन नाकाम रहे हैं।
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व्यापार को राजनीति से न जोड़ें – आर्थिक लेन-देन को राजनीतिक मुद्दों से अलग रखना चाहिए।
2026 में भारत की होगी BRICS अध्यक्षता
भारत 2026 में 18वें BRICS शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2025 में ब्राजील के रियो डी जेनेरियो में हुए 17वें BRICS समिट में इस विज़न को साझा किया था। भारत का एजेंडा होगा –
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Humanity First: लोगों के हितों को प्राथमिकता देना।
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Resilience & Innovation: तकनीकी सहयोग और नवाचार को बढ़ावा।
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Sustainability: जलवायु और पर्यावरण संरक्षण पर फोकस।
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Global South की आवाज: विकासशील देशों की भूमिका मजबूत करना।
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Terrorism & Economy: आतंकवाद के खिलाफ कदम और आर्थिक मजबूती।
BRICS: एक झलक
BRICS आज 11 बड़े उभरते देशों का संगठन है – ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका, मिस्र, इथियोपिया, इंडोनेशिया, ईरान, सऊदी अरब और UAE। इसकी शुरुआत 2001 में BRIC के रूप में हुई थी, जब रूस, भारत, ब्राजील और चीन साथ आए थे। बाद में अन्य देश जुड़ते गए और यह BRICS बन गया।
इस मंच का उद्देश्य पश्चिमी देशों के दबदबे को चुनौती देकर ग्लोबल साउथ की आवाज़ को ताकत देना है।
इस तरह BRICS समिट ने एक बार फिर दिखा दिया कि भारत अब वैश्विक मंचों पर सिर्फ दर्शक नहीं, बल्कि निर्णायक भूमिका निभा रहा है।