कांग्रेस की हार के बाद नंदकुमार साय ने भाजपा की तरफ पलटी मारी ! दिया कांग्रेस से इस्तीफा…!

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छत्तीसगढ़ की राजनीति में आज वही एक बड़ा घटनाक्रम हुआ जिसकी आशंका भाजपा को 8 महीना पहले थी। आज अचानक वरिष्ठ आदिवासी नेता नंदकुमार साय ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया है। करीब 40 साल जनता पार्टी और भाजपा की राजनीति से जुड़े रहे नंदकुमार साय ने 8 माह पहले ही भाजपा छोड़कर 78 की उम्र में कांग्रेस का दामन थामा था। तब मौजूदा मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को अपने घर पर घंटा इंतजार करने के बाद उनसे बात तक नहीं करते हुए मान मन्नोवल की सारी गुंजाइश खत्म कर दी थी। अब जबकि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा। राष्ट्रबोध को उनके निकटतम सूत्रों ने बताया कि तभी से वे कांग्रेस छोड़ने वाले थे।

चुनाव हारने के 17 दिन बाद आखिरकार उन्होंने कांग्रेस से इस्तीफा दे ही दिया ! कांग्रेस प्रवेश लेते ही तत्कालीन सीएम भूपेश बघेल उन्हें जानबूझकर अपने मंचों पर शामिल करवा कर बार-बार भाजपा को हतोत्साहित करने की कोशिश में लगे रहे । मोदी सरकार की ओर से केंद्रीय मंत्री तक का दर्जा पाने के बाद छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार ने उन्हें CSIDC में अध्यक्ष का पद दिया था । ताजा हालात के बारे में राष्ट्रबोध को जानकारी मिली है कि, भाजपा के नेता साय से संपर्क में हैं। चर्चा है कि नंदकुमार साय से मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने मुलाकात की है।

जिस तरह से नंदकुमार साय ने 8 महीना पहले भाजपा से इस्तीफा की खबर को बेहद गुप्त रखा था ठीक उसी तरह कांग्रेस से इस्तीफे खबर से भी कांग्रेसी नेता भी अनजान ही थे।
उनके इस्तीफा इस्तीफा वाला घटनाक्रम कुछ इस तरह से था, 1 मई 2023 को नंदकुमार साय ने भाजपा से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने तब भाजपा से दिए इस्तीफे में लिखा था- मुझ पर झूठे आरोप लगाए जा रहे हैं। मेरी गरिमा को लगातार ठेस पहुंचाई जा रही है, जिससे मैं आहत महसूस कर रहा हूं। बहुत गहराई से विचार करने के बाद मैंने बीजेपी में अपने सभी पद और पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दिया है।

उनके करीब 46 साल का राजनीतिक करियर कुछ इस तरह से रहा:

1. वे पहली बार 1977, फिर 1985 और 1998 में मध्य प्रदेश विधानसभा के सदस्य रह चुके हैं। साल 2000 में वे छत्तीसगढ़ विधानसभा के सदस्य बने और पहले विपक्ष के नेता बने थे।
2. साय 1989, 1996 और 2004 में लोकसभा सांसद भी रह चुके हैं। इसके साथ ही 2009 और 2010 में वह राज्यसभा के लिए चुने जा चुके हैं।
3. नंद कुमार अपने गृह गांव भगोरा में खुद के खेतों में हल चलाते हुए और बुबाई करते देखा जा सकता है।
4. इसके पीछे उनका तर्क है कि बचपन से खेती से जुड़े होने के कारण आज भी वे किसान ही हैं।
5. वह अविभाजित मध्यप्रदेश में बाद में छत्तीसगढ़ में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं।
6. कांग्रेस सरकार के समय वह छत्तीसगढ़ विधानसभा में विपक्ष के नेता रहे हैं।
7.साय अब तक चार बार विधायक रहे। तीन बार लोकसभा और दो बार राज्यसभा के सांसद रहे।
8. साय बेहद सादा जीवन जीते हैं। फ्लाइट से सफर करना जरूरी हो तो इकोनॉमी क्लास चुनते हैं।
9. उनका कहना है कि संसद का पैसा आदमी के टैक्स से आता है, उसे सोच-समझकर खर्च करना चाहिए।
10. एक किसान परिवार में 1 जनवरी 1946 में नंदकुमार साय का जन्म हुआ।
11. उन्होंने सरकारी नौकरी की तैयारी की और 1973 में नायब तहसीलदार के पद पर चयनित भी हुए लेकिन नौकरी पर नहीं गए।
12. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में नंदकुमार साय को 2017 में राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया था।
13. 2023 मई में उन्होंने भाजपा को छोड़ कांग्रेस ज्वाइन की थी।

पूरा जीवन भाजपा और उसकी विचारधारा के साथ बिताने के बाद बीते कुछ महीनो में नंदकुमार साय जो कुछ किया, उससे उनकी जो छवि खराब हुई शायद वह कभी वैसी उजली नहीं हो सकती। लेकिन लोकसभा चुनाव के पहले जब वे भाजपा ज्वाइन करने जा रहे हैं तो इसमें कुछ भी नया नहीं हो रहा है हमारे देश में कई दिक्कज नेता अवसर देखकर ऐसे ही पलटी मारते रहे हैं ।

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