जगदलपुर में आयोजित इन्वेस्टर कनेक्ट कार्यक्रम में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने ऐतिहासिक संदेश दिया। उन्होंने कहा कि –
“बस्तर अब माओवाद का गढ़ नहीं, बल्कि निवेश और विकास का नया अध्याय लिखने जा रहा है। मार्च 2026 तक नक्सलवाद की बची-खुची निशानियाँ भी मिट जाएंगी और बस्तर, समृद्ध छत्तीसगढ़ के भविष्य की धुरी बनेगा।”
नई औद्योगिक नीति में बस्तर केंद्र में
सीएम ने कहा कि उनकी नई औद्योगिक नीति का मुख्य फोकस बस्तर है। यहाँ की खनिज संपदा, प्राकृतिक संसाधन और मेहनती युवा मिलकर इसे प्रदेश की औद्योगिक राजधानी बनाएंगे।
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जगदलपुर, कांकेर, दंतेवाड़ा, नारायणपुर और बीजापुर में नए औद्योगिक क्षेत्र विकसित किए जा रहे हैं।
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नवा रायपुर की तरह बस्तर में भी हाई-टेक अधोसंरचना बनाई जाएगी।
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सिंगल विंडो सिस्टम से उद्योगों को तुरंत मंजूरी मिलेगी।
पर्यटन को मिलेगा उद्योग का दर्जा
साय ने कहा – “बस्तर भारत का स्वर्ग है।”
सरकार ने पर्यटन को उद्योग का दर्जा देते हुए बड़े ऐलान किए:
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होटल, इको-टूरिज्म, वेलनेस और एडवेंचर स्पोर्ट्स पर 45% तक सब्सिडी।
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होमस्टे स्कीम से स्थानीय लोगों को मौका।
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वनोपज आधारित उद्योगों (साल बीज, इमली आदि) को विशेष बढ़ावा।
स्किल डेवलपमेंट पर बड़ा फोकस
बस्तर के हर 32 ब्लॉक्स में स्किल सेंटर खोले जा रहे हैं, ताकि यहां के युवा कोर इंडस्ट्री से लेकर नए दौर की टेक इंडस्ट्री तक फिट हो सकें।
निवेशकों का बढ़ता विश्वास
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री लखनलाल देवांगन ने बताया कि प्रदेश को अब तक 6.95 लाख करोड़ का निवेश प्रस्ताव मिला है। इससे लाखों रोजगार सृजित होंगे।
उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा ने बीजापुर में पहली राइस मिल और जगरगुंडा की बंद पड़ी इमली मंडी को फिर से शुरू करने की घोषणा की।
नक्सल पीड़ित परिवारों के लिए राहत
कार्यक्रम में नक्सल पीड़ित परिवारों को विशेष पैकेज दिया गया। यदि वे उद्योग लगाना चाहें तो उन्हें अतिरिक्त अनुदान और 6 साल तक वित्तीय सहायता मिलेगी।
अंतरराष्ट्रीय पहचान
साय ने कहा कि छत्तीसगढ़ की नई औद्योगिक नीति की सराहना अब दक्षिण कोरिया और जापान जैसे देशों में भी हो रही है। एनएमडीसी ने भी कार्यक्रम में अपनी सामाजिक-औद्योगिक भूमिका प्रस्तुत की।
निचोड़:
छत्तीसगढ़ सरकार ने साफ संकेत दे दिया है कि आने वाले समय में बस्तर निवेश, उद्योग और पर्यटन का हब बनेगा। अब सवाल यह है कि क्या निवेशकों का यह भरोसा ज़मीनी हकीकत में बदल पाएगा और क्या वाकई 2026 तक बस्तर पूरी तरह नक्सलमुक्त हो जाएगा?