मिजोरम पहली बार रेल नेटवर्क से दिल्ली, कोलकाता और गुवाहाटी से जुड़ा: 51 KM लंबी बैराबी-सायरंग लाइन में 45 सुरंगे, भारत का दूसरा सबसे ऊँचा ब्रिज

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार से शुरू हुए दो दिवसीय नॉर्थ-ईस्ट दौरे की शुरुआत मिजोरम से की। उन्होंने आईजोल में लेंगपुई एयरपोर्ट से बैराबी-सायरंग रेलवे लाइन समेत 9,000 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया।

साथ ही, मिजोरम को दिल्ली, कोलकाता और गुवाहाटी से जोड़ने वाली पहली ट्रेन सेवा को हरी झंडी दिखाई। इस मौके पर प्रधानमंत्री ने कहा, “लंबे समय तक मिजोरम को नजरअंदाज किया गया, लेकिन आज यह राज्य फ्रंटलाइन में है।”


बैराबी-सायरंग रेलवे लाइन की खास बातें

  • कुल लंबाई: 51 किमी

  • टनेल की संख्या: 45 सुरंगे

  • ब्रिज की ऊँचाई: कुतुबमीनार से ऊँचा, भारत का दूसरा सबसे ऊँचा रेलवे ब्रिज

  • राष्ट्रीय राजधानी से जुड़ाव: सायरंग से दिल्ली ट्रेन अब हफ्ते में एक दिन चलेगी, 2,510 किमी का सफर 45 घंटे 30 मिनट में पूरा होगा (एवरेज स्पीड 57.81 किमी/घंटा)।

  • कोलकाता कनेक्टिविटी: सायरंग-कोलकाता ट्रेन सप्ताह में तीन दिन चलेगी, 1,530 किमी की दूरी 31.15 घंटे में पूरी होगी।

  • गुवाहाटी कनेक्टिविटी: सायरंग-गुवाहाटी ट्रेन दिन में 12:30 बजे रवाना होकर आधी रात 2:30 बजे गुवाहाटी पहुंचेगी।

इसके अलावा, सायरंग से मालगाड़ी भी चलेगी, जो देश के अन्य हिस्सों से कनेक्टिविटी सुनिश्चित करेगी।


पीएम मोदी का संदेश

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि मिजोरम के लोग हमेशा प्रेरणा स्रोत रहे हैं। इस रेलवे लाइन के उद्घाटन से कई चुनौतियों के बावजूद सपना साकार हुआ। उन्होंने मिजोरम के युवाओं की प्रतिभा और सशक्तिकरण पर जोर दिया।

  • शिक्षा: पहले ही 11 एकलव्य आवासीय स्कूल बन चुके हैं, 6 और स्कूल निर्माणाधीन।

  • स्टार्टअप: लगभग 4,500 स्टार्टअप और 25 इनक्यूबेटर काम कर रहे हैं।

  • हवाई कनेक्टिविटी: जल्द ही हेलिकॉप्टर सेवाएं शुरू होंगी, जिससे दूरदराज के इलाकों तक पहुंच आसान होगी।

प्रधानमंत्री ने इसे केवल रेल कनेक्टिविटी नहीं बल्कि मिजोरम के लिए जीवनरेखा बताया।


राज्यपाल और स्थानीय नेताओं की प्रतिक्रिया

मिजोरम के राज्यपाल (सेवानिवृत्त) जनरल वी.के. सिंह ने कहा कि यह रेल लाइन राज्य को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ती है और भविष्य में इसे म्यांमार तक बढ़ाया जा सकता है।

राज्य की प्रमुख पार्टियां जैसे ZPM और MNF ने भी इस परियोजना का स्वागत किया। उनका कहना है कि इससे मिजोरम में आर्थिक विकास, व्यापार, पर्यटन और रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे।


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