पं.रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय की वार्षिक परीक्षा-2023 में ग्रेजुएशन का रिजल्ट कमजोर था। 60 फीसदी छात्र फेल हुए थे। यह स्थिति सिर्फ रविवि की ही नहीं बल्कि प्रदेश के अन्य राजकीय विवि की रही, जहां बड़ी संख्या में छात्र फेल हुए। इसे देखते हुए सप्लीमेंट्री का नियम बदला गया। आमतौर पर एक विषय में फेल होने वाले छात्रों को सप्लीमेंट्री मिलती है।
लेकिन इस बार दो विषय में फेल हुए छात्रों को भी पूरक दिया गया। फिर भी इसका फायदा ज्यादा छात्रों का नहीं मिला। बीएससी में 35 प्रतिशत और बीए व बीकॉम की पूरक परीक्षा में 40 प्रतिशत से अधिक छात्र एक या दोनों विषय में फेल हुए हैं।
जानकारों का कहना है कि कोरोना काल में तीन साल तक रविवि की परीक्षाएं ऑनलाइन मोड में हुई। इस दौरान छात्रों ने घर से परीक्षा दी। अधिकांश पास हुए। वर्ष 2023 की वार्षिक परीक्षा ऑफलाइन मोड में हुई। छात्रों ने सेंटर में आकर पेपर लिखा। इसका असर रिजल्ट पर पड़ा। आधे से ज्यादा छात्र फेल हुए।
बीए, बीकॉम, बीएससी समेत ग्रेजुएशन की अन्य कक्षाओं में करीब सवा लाख परीक्षार्थी थे। 49 हजार पास हुए। एक विषय में फेल होने से 25 हजार छात्रों को पूरक मिला था। वहीं करीब 51 हजार छात्र फेल हुए थे। इनमें से करीब 25 हजार छात्र ऐसे हैं जो दो विषय में फेल थे। नए नियम से इन्हें भी पूरक की पात्रता मिली।
दाे विषय में पूरक का नियम केवल इसी वर्ष के लिए
दो विषय में फेल हुए छात्रों को भी इस बार पूरक की पात्रता मिली। इसके लिए रविवि समेत अन्य राजकीय विवि ने अपने-अपने अध्यादेश में संशोधन किया। लेकिन यह नियम सिर्फ इसी वर्ष के लिए था। अधिकारियों का कहना है कि अगले साल से पूरक परीक्षा में फिर से एक विषय वाला नियम लागू हो जाएगा। उधर, रविवि की वार्षिक परीक्षा-2024 के लिए आवेदन की प्रक्रिया शुरू हो गई है।
जिन्हें फिर मिला पूरक, वे दे सकेंगे अगली परीक्षा
रविवि की ओर से सप्लीमेंट्री एग्जाम के नतीजे पिछले दिनों जारी किए गए। इसके अनुसार बीए तीनों वर्ष में 7093 छात्रों को पूरक मिला है। बीकॉम में 1573 और बीएससी में 1982 को सप्लीमेंट्री आई है। इसे लेकर अफसरों का कहना है कि जिन छात्रों को इस बार भी पूरक मिला है, वे आगामी वार्षिक परीक्षा 2024 में संबंधित विषय की परीक्षा दे सकेंगे।
35 हजार से अधिक थे पूरक के परीक्षार्थी
कई छात्रों का रिजल्ट रीवैल के बाद बदला था। फिर भी पूरक में परीक्षार्थियों की संख्या 35 हजार से अधिक थी। नए नियम से संभावना थी कि सप्लीमेंट्री एग्जाम का रिजल्ट अच्छा होगा, ज्यादातर छात्र पास होंगे। लेकिन बीए ब बीकॉम का रिजल्ट 60 प्रतिशत से कम रहा है।