अमेरिका की ओर से H-1B वीजा एप्लिकेशन फीस बढ़ाने के फैसले पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने पीएम मोदी पर हमला बोला। राहुल ने शनिवार को सोशल मीडिया X पर लिखा कि भारत के पास सबसे कमजोर प्रधानमंत्री है।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि मोदी ने बर्थडे पर जो रिटर्न गिफ्ट दिया है, उससे हर भारतीय परेशान है। उनके अनुसार, राष्ट्रीय हित हमेशा सबसे पहले हैं, और केवल गले मिलना या “मोदी-मोदी” के नारे लगवाना विदेश नीति नहीं हो सकती।
H-1B वीजा की नई फीस
अमेरिका ने H-1B वीजा के लिए अब एक लाख डॉलर (करीब 88 लाख रुपए) एप्लिकेशन फीस वसूलने का आदेश दिया है। पहले यह फीस 1 से 6 लाख रुपए तक थी।
खड़गे ने कहा कि 70% H-1B वीजा धारक भारतीय हैं, और नई एनुअल फीस भारतीय टेक कर्मचारियों पर सबसे ज्यादा असर डालेगी। भारत पर पहले से ही 50% टैरिफ लगा है और अकेले 10 सेक्टरों में अनुमानित नुकसान ₹2.17 लाख करोड़ है।
विदेश नीति का मतलब है राष्ट्रीय हित की सुरक्षा करना, संतुलन के साथ मित्रता बढ़ाना और देश की प्रतिष्ठा बनाए रखना।
वीजा रिन्यू पर भी असर
H-1B वीजा 3 साल के लिए दिया जाता है और जरूरत पड़ने पर 3 साल बढ़ाया जा सकता है। रिन्यू करवाने पर पहले 6 लाख रुपए तक शुल्क लगता था, अब हर बार 88 लाख रुपए लग सकते हैं। हालांकि, अंतिम फैसला अभी बाकी है।
H-1B वीजा का महत्व
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हर साल 85,000 H-1B वीजा जारी होते हैं।
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ज्यादातर तकनीकी नौकरियों जैसे IT, आर्किटेक्चर और हेल्थ में इनका इस्तेमाल होता है।
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अमेजन को 2025 में 10,000+, माइक्रोसॉफ्ट और मेटा को 5,000+ वीजा मिले।
भारतीयों पर असर
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नए नियमों से 2,00,000+ भारतीय प्रभावित होंगे।
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साल 2023 में 1,91,000 और 2024 में 2,07,000 भारतीय H-1B वीजा धारक रहे।
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इंफोसिस, TCS, विप्रो, कॉग्निजेंट, HCL जैसी कंपनियां सबसे ज्यादा स्पॉन्सर करती हैं।
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ऊंची फीस के कारण कंपनियां कर्मचारियों को अमेरिका भेजना कम फायदेमंद पाएंगी, और पेशेवर अवसर यूरोप, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और मिडिल ईस्ट की ओर बढ़ सकते हैं।
ट्रम्प प्रशासन का नजरिया
व्हाइट हाउस स्टाफ सेक्रेटरी विल शार्फ के अनुसार H-1B वीजा प्रोग्राम का सबसे ज्यादा गलत इस्तेमाल हुआ है। नया नियम सुनिश्चित करेगा कि आने वाले लोग वास्तव में हाई स्किल्ड हों और अमेरिकी कर्मचारियों को रिप्लेस न करें।
इसके लिए “ट्रम्प गोल्ड कार्ड” वेबसाइट (https://trumpcard.gov/) तैयार की गई है, जिसमें 15,000 डॉलर जांच शुल्क और सख्त सुरक्षा जांच शामिल है। यह EB-1 और EB-2 वीजा की जगह लेगा।
ऐतिहासिक जानकारी
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H-1B वीजा 1990 में शुरू हुआ।
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ट्रम्प की पत्नी मेलानिया ट्रम्प को मॉडलिंग के लिए अक्टूबर 1996 में H1-बी वीजा मिला।
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अब तक अमेरिका हर साल 85,000 वीजा लॉटरी सिस्टम के तहत जारी करता आया है।