सूरजपुर जिला अस्पताल में अव्यवस्था: कई महीने से बंद पड़ी है सोनोग्राफी मशीन, भटक रहीं गर्भवती महिलाएं

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सूरजपुर – छत्तीसगढ़ का सूरजपुर जिला अक्सर कुछ न कुछ कारणों से चर्चाओं में रहता है। दरअसल, जिला अस्पताल एक बार फिर से सुर्खियों में है। इस बार जिस वजह से जिला अस्पताल की चर्चा हो रही है वो सोनोग्राफी का मशीन जो कई महीनों से बंद है। जिससे यहां मरीज पहुँच तो रहे है पर इलाज नही मिलने से निजी संस्थानों में जाने को मजबूर है और कम खर्च में इलाज की आश लिए यहां आने वाले मरीज सहित उनके परिजनों को जांच के लिए मोटी रकम चुकानी पड़ रही है।

खनिज संपदाओं के परिपूर्ण होने साथ ही सूरजपुर वनांचल से घिरा क्षेत्र है। जहां की आज भी 90 प्रतिशत आबादी गांव में निवास करती है। जिसमे से अधिकतर लोग निम्नवर्ग से आते है। उल्लेखनीय है कि, प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भी मौजूद है। पर वहां उतने तकनीकी उपकरण उपलब्ध ना होने के कारण अच्छे और सस्ते उपचार का सपना लिए ग्रामीण दूरस्थ क्षेत्र से भी जिला चिकित्सालय पहुंचते तो जरूर है। लेकिन यहां सुविधाओं के साथ मशीनरी उपलब्ध होने के बाद भी मजबूरन उनको निजी क्लीनिकों का रुख करना पड़ रहा है, क्योकि डॉक्टर तो आते है पर कुछ दिन रहने के बाद छोड़ के चले जाते हैं। जिसके कारण लाखों की लागत से जिला अस्पताल में मौजूद सोनोग्राफी का मशीन करीब 2 माह से धूल खा रहा है। रोजाना जिला अस्पताल पहुंचने वाले 30 से 40 गर्भवती महिलाओं को अपनी जांच करने के लिए निजी क्लिनिक का सहारा लेना पड़ रहा है। जहां उनको इस जांच के लिए एक मोटी रकम ना चाहते हुए भी चुकानी पड़ रही है।

निजी क्लीनिकों के काटने पड़ रहे चक्कर
अस्पताल की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. गरिमा सिंह ने बताया कि, जिला अस्पताल को जब अल्ट्रासाउंड मशीन की सौगात मिली तब लोगों को लगा था कि, अब उन्हें निजी क्लीनिकों के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। जो जांच में 15 सौ से 2 हजार रुपये एक बार सोनोग्राफी कराने पर उनको खर्च करने पड़ते हैं। वह भी उनकी बचत होगी। क्योंकि जिला अस्पताल में मात्र 250 रुपए में ही मरीज को यह सुविधा उपलब्ध हो जा रही थी। लेकिन अब यह सुविधा आज बंद हो गई है। सोनोग्राफी जांच के लिए बनाए गए कमरे के बाहर ताला लटक कर इसकी शोभा बढ़ा रहा है। जिसकी वजह से उपचार के लिए जिला अस्पताल पहुंचे मरीज और गर्भवती महिलाओं को प्राइवेट क्लीनिकों में जाकर अपनी जांच करानी पड़ रही है।

कमरों में ताला बंद
इस मामले को लेकर अस्पताल के अधीक्षक डॉ. अजय मरकाम ने बताया कि, डक्टर के छोड़ने के कारण अस्पताल में मशीन ऑपरेट नहीं होना है और इसलिए ऐसी स्थिति बानी हुई है। इसके लिए सरकार से पत्राचार किया गया है। डॉक्टर जो रेडियोलॉजिस्ट इसका संचालन करते थे, वह रिजाइन देकर जा चुके हैं। जिसकी वजह से यह सुविधा अब करीब 2 माह से बंद है। वहीं डॉक्टर साहब की माने तो वह महीने में एक या दो बार मरीजों के लिए जरूर इस सुविधा को दूसरे डॉ के भरोसे संचालित करा रहे हैं। लेकिन रोजाना जांच के लिए अस्पताल पहुँचने वाले मरीजों के लिए उनके पास अस्पताल मे रेडियोलॉजिस्ट डॉक्टर नही होने के कारण कोई भी वैकल्पिक व्यवस्था नही है।

सभी कारणों की जांच की जाएगी
बता दें कि, यह प्रदेश के स्वस्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल का ही गृह संभाग है। जहां डॉक्टर न होने के कारण यह सुविधा से लोगो को वंचित होना पड़ रहा है। जिसको लेकर कांग्रेस भी हमलावर नज़र आ रही है। किसान कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष ने इसको सरकार की विफलता बताते हुए कहा कि, स्वस्थ्य मंत्री के पूरे गृह संभाग में ऐसी ही स्थिति है, कहीं जांच नही हो रहा तो कहीं दवाइयां उपलब्ध नही हो पा रही है। कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर हड़ताल कर रहे है। जिसे स्वस्थ्य व्यवस्था प्रभावित हो रही है। तो दूसरी ओर क्षेत्रीय विधायक भूलन सिंह मरावी ने मामले पर संज्ञान लेते हुए कहा कि, उन तक अभी जानकारी पहुंची है। उन्होंने जल्द ही स्वस्थ्य मंत्री से बात कर डॉ उपलब्ध कराया जाएगा। वहीं डॉक्टर अस्पताल में किस वजह से कार्य नहीं करना चाह रहे इसकी भी वह जांच कराएंगे।

जिला अस्पताल में रोजाना इलाज के लिए पहुंचते हैं मरीज
शासन प्रशासन बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने के लाख दावे जरूर करें। लेकिन कई बार डॉक्टरों के उदासीनता और लापरवाही इन तमाम दावों पर पानी फेरने का काम जरूर करती है। अब देखने वाली बात होगी कि, सूरजपुर के सबसे बड़े शासकीय अस्पताल में जहां रोजाना हजारों की संख्या मरीज शासन की योजनाओं से उपचार पाने की आश लिए पहुंचते थे। उनके लिए कब यह शासकीय सुविधा दोबारा से शुरु हो पाएगी।

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