एयर ट्रैफिक कंट्रोल ऑफिसर (ATCO) ट्रेनिंग और लाइसेंस नियम अब और कड़े

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DGCA ने सुरक्षा बढ़ाने और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए 6 नए प्रावधान लागू करने की तैयारी की है। अब ट्रेनी अफसर बिना जांच के कंट्रोल टावर तक नहीं पहुंच पाएंगे। इन बदलावों का मकसद विमान क्रैश जैसी घटनाओं को रोकना और एयर ट्रैफिक मैनेजमेंट को और मजबूत करना है।

ATCO ट्रेनिंग और लाइसेंसिंग के लिए 6 नए नियम

  1. सैटकॉल लाइसेंस: अब स्टूडेंट ATCO को सिर्फ ट्रेनर की निगरानी में ही रडार और रेडियो कंट्रोल का अभ्यास करने की अनुमति होगी। मेडिकल और फिटनेस जांच के बाद ही कंट्रोल टावर तक एक्सेस मिलेगा।

  2. ट्रेनिंग संस्थानों पर सख्ती: हर संस्थान को कौशल आधारित ट्रेनिंग, क्वालिटी एश्योरेंस और एनुअल ऑडिट रिपोर्ट देना अनिवार्य होगा।

  3. लॉगबुक अनिवार्य: हर ATCO को अपनी मासिक लॉगबुक प्रमाणित करवानी होगी। इसके अलावा यूनिट लेवल पर हर तीन महीने में जांच की जाएगी।

  4. रिकॉर्ड डिजिटलीकरण: सभी ट्रेनिंग और एयर ऑपरेटर रिकॉर्ड अब डिजिटल रूप में सुरक्षित होंगे। पहले सालाना निरीक्षण होता था, अब तिमाही होगा।

  5. चार्टर फ्लाइट्स: लीज एग्रीमेंट और मेंटेनेंस रिकॉर्ड भी DGCA को डिजिटल फॉर्मेट में सौंपना अनिवार्य होगा।

  6. विशेष उड़ानों की अनुमति: मेडिकल इवैकुएशन, VIP मूवमेंट और रेस्क्यू फ्लाइट्स की परमिशन अब 12 घंटे के भीतर डिजिटल पोर्टल से मिलेगी।


ATCO की भूमिका क्या होती है?

एयर ट्रैफिक कंट्रोल ऑफिसर विमानन सुरक्षा की रीढ़ होते हैं। ये तय करते हैं कि कौन-सा विमान कब टेकऑफ करेगा, किस ऊंचाई पर उड़ान भरेगा और कब सुरक्षित लैंड करेगा।

ATCO के तीन सेक्टर माने जाते हैं:

  • एरोड्रम कंट्रोल: एयरपोर्ट पर टेकऑफ और लैंडिंग की जिम्मेदारी।

  • एप्रोच कंट्रोल: एयरपोर्ट के आसपास के हवाई क्षेत्र पर नजर।

  • एरिया कंट्रोल: लंबी दूरी की फ्लाइट्स का मार्गदर्शन।


DGCA के ये नए नियम आने वाले समय में विमान सुरक्षा को और मजबूत करने वाले साबित होंगे।

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