वित्त मंत्री सीतारमण का बयान – वैश्विक अर्थव्यवस्था में बड़े बदलाव, भारत हर झटके को झेलने में सक्षम

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कौटिल्य आर्थिक सम्मेलन 2025 में बोलते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि आज जब पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था संरचनात्मक बदलाव से गुजर रही है, तब भी भारत की स्थिति काफी मजबूत है। उन्होंने दावा किया कि भारतीय अर्थव्यवस्था में इतनी लचीलापन और ताकत है कि वह किसी भी बाहरी झटके को आसानी से झेल सकती है।


⚔️ युद्ध, रणनीतिक प्रतिद्वंद्विता और नए गठबंधन

  • सीतारमण ने कहा कि मौजूदा दौर में युद्ध और रणनीतिक प्रतिस्पर्धा ने दुनिया में सहयोग और संघर्ष की परिभाषा ही बदल दी है।

  • जो अंतरराष्ट्रीय गठबंधन कभी अटूट माने जाते थे, आज वे भी परीक्षा के दौर से गुजर रहे हैं।

  • साथ ही, दुनिया में नए गठबंधन तेजी से उभर रहे हैं, जो वैश्विक राजनीति और अर्थव्यवस्था दोनों को नया आकार देंगे।


ग्लोबल इकोनॉमी का नया चेहरा

  • प्रतिबंध, टैरिफ और डिकप्लिंग स्ट्रैटेजी (अलगाव की नीति) ने पूरी ग्लोबल सप्लाई चेन को बदल दिया है।

  • यह बदलाव अस्थायी नहीं बल्कि संरचनात्मक (Structural Transformation) हैं।

  • सीतारमण के मुताबिक, भारत इन बदलावों को लेकर सजग है और इन्हीं हालातों में अपनी जुझारूपन (Resilience) भी साबित कर रहा है।


भारत की ग्रोथ घरेलू कारकों पर आधारित

वित्त मंत्री ने कहा –

  • भारतीय अर्थव्यवस्था का विकास घरेलू कारकों पर आधारित है।

  • उपभोग (Consumption) और निवेश (Investment) वर्षों से स्थिर बने हुए हैं।

  • इस वजह से बाहरी दबाव और वैश्विक असंतुलन का असर भारत पर सीमित रहता है।

  • उनका कहना था – “भारत का उदय आकस्मिक नहीं है, बल्कि यह कई मजबूत कारकों के संयोजन का परिणाम है।”


सीतारमण का संदेश

भारत का भविष्य सिर्फ ग्लोबल मार्केट पर निर्भर नहीं है। बल्कि, देश की अर्थव्यवस्था की असली ताकत इसके भीतर मौजूद मजबूत नींव और स्थिर घरेलू मांग है। यही वजह है कि वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच भी भारत लगातार विकास की राह पर आगे बढ़ रहा है।


कुल मिलाकर, वित्त मंत्री का साफ संदेश यही है कि “दुनिया बदल रही है, गठबंधन बदल रहे हैं, लेकिन भारत अपनी आर्थिक शक्ति और स्थिरता के दम पर इन हर झटकों को झेलने में सक्षम है।”

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