दिवाली नज़दीक है और ज्यादातर कंपनियां इस मौके पर कर्मचारियों को बोनस देती हैं। यह बोनस खुशियों के साथ-साथ आपके फाइनेंशियल फ्यूचर को मजबूत बनाने का बेहतरीन मौका भी है। लेकिन अक्सर लोग यह पैसा तुरंत शॉपिंग और महंगे खर्चों में उड़ा देते हैं। अगर आप थोड़ी समझदारी दिखाएँ, तो यही बोनस आपको लंबे समय तक फायदा दे सकता है।
बोनस को समझदारी से बांटें
फाइनेंशियल एक्सपर्ट्स मानते हैं कि बोनस को खर्च और बचत दोनों के बीच बैलेंस करना जरूरी है।
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50% हिस्सा – त्योहार और लाइफस्टाइल पर खर्च करें।
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50% हिस्सा – म्यूचुअल फंड्स, रिटायरमेंट या कर्ज चुकाने में लगाएँ।
अगर जिम्मेदारियां ज्यादा हैं, तो तीन हिस्सों में बाँट सकते हैं:
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जरूरतें – 30%
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इच्छाएँ – 30%
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वेल्थ क्रिएशन – 40%
सेलिब्रेशन के लिए पहले से बजट बनाएं
त्योहार का खर्च कहीं आपकी जेब पर बोझ न डाल दे, इसके लिए पहले से ही खर्च का अंदाजा लगाएँ।
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गिफ्ट्स, डेकोरेशन, ट्रैवल, पूजा और गैदरिंग का बजट तय करें।
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उसी हिसाब से बोनस का एक हिस्सा अलग करें और बाकी को निवेश/बचत में लगाएँ।
गलतियों से बचें
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बोनस को “एक्स्ट्रा पैसा” मानकर फिजूल न उड़ाएँ।
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शॉपिंग के लिए क्रेडिट कार्ड या पर्सनल लोन लेने से बचें, वरना ब्याज आपके बोनस से कई गुना ज्यादा निकल जाएगा।
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खर्च के लिए शॉपिंग लिस्ट पहले से बना लें और उसी पर टिके रहें।
सबसे पहले हाई-इंटरेस्ट कर्ज चुकाएँ
अगर आपके पास क्रेडिट कार्ड बिल, पर्सनल लोन या कोई भी महंगा कर्ज है, तो बोनस का बड़ा हिस्सा उसे चुकाने में लगाएँ।
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पहले सबसे ज्यादा ब्याज वाले लोन को खत्म करें।
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आंशिक भुगतान भी आपकी EMI और टोटल इंटरेस्ट कम कर सकता है।
निवेश की रणनीति
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शॉर्ट टर्म (3 साल से कम) – लिक्विड फंड्स या रिकरिंग डिपॉजिट।
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मीडियम-लॉन्ग टर्म – इक्विटी म्यूचुअल फंड्स, इंडेक्स फंड्स।
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डायवर्सिफिकेशन के लिए – सोवरेन गोल्ड बॉन्ड्स या गोल्ड ETF।
निवेश का चुनाव हमेशा आपकी जरूरत, समय सीमा और रिस्क प्रोफाइल पर निर्भर करेगा।
बोनस = फाइनेंशियल बूस्टर
एक्सपर्ट्स मानते हैं कि बोनस को फाइनेंशियल फिटनेस का बूस्टर समझना चाहिए। अगर सही तरीके से बांटा जाए तो यह आपकी खुशियाँ भी बढ़ाएगा और भविष्य को भी सुरक्षित करेगा।
सार यह है कि दिवाली बोनस केवल शॉपिंग और खर्च का साधन न बने, बल्कि इसे कर्ज निपटाने, निवेश करने और फाइनेंशियल सुरक्षा के लिए इस्तेमाल करें। तभी यह सच में आपके लिए “खुशियों का बोनस” साबित होगा।