करोड़ों के चावल घोटाले में कई नेताओं और दुकानदारों को जेल भेजने की तैयारी…!

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छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार बनने के बाद एक-एक कर सभी घाटल घोटाले की फाइलें खोलने की तैयारी हो चुकी है। यही कारण है की दबी हुई 310 करोड़ के चावल घोटाले की फाइल एक बार फिर खुल गई है।

राष्ट्रबोध को चावल घोटाले मामले में जो पड़ताल की उसमें पता चला कि राज्य की 13,524 राशन दुकान के संचालकों ने 2019 से 2023 के बीच हर महीने जरूरत से ज्यादा चावल लिया। जो चावल बच रहा था उसे वापस नहीं किया। खाद्य विभाग ने भी न तो हिसाब मांगा और न ही उतना चावल काटकर दुकानों को दिया।

केंद्र सरकार की जांच में घोटाले का भंडा फूटने के बाद दुकानदारों ने 40 करोड़ का चावल वापस किया। हैरानी की बात यह है कि इस खुल्लम खुल्ला लूट के मामले में बड़ी मात्रा में चावल वापस कर दिया गया लेकिन अभी 270 करोड़ के चावल की रिकवरी बाकी है।

पूर्ववर्ती भूपेश बघेल सरकार ने सब जानते हुए भी बेईमान अधिकारियों और देशों के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की लेकिन अब घपला करने वालों के खिलाफ केस दर्ज कराया जाएगा। किसी भी राशन दुकान वाले से चावल नहीं लिया जाएगा।

केंद्र सरकार की ओर से भेजी गई इस सूचना के बाद खाद्य संचालनालय में खलबली मच गई है। केंद्र सरकार ने सख्ती से कहा है कि चावल घोटाला करने वालों के खिलाफ आवश्यक खाद्य वस्तु अधिनियम के तहत के एफआईआर दर्ज की जाए। पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने विधानसभा में चावल घोटाले को 310 करोड़ से भी ज्यादा का बताया था।

इसके बाद ही राज्य सरकार ने इस मामले की जांच शुरू की थी। पूर्व खाद्यमंत्री अमरजीत भगत ने भी इस पर कार्रवाई की मांग की थी। विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने सरकार बदलने के बाद इस मामले में केंद्रीय खाद्य मंत्री पीयूष गोयल को चिट्टी लिखकर बताया है कि राशन दुकानों में 298 करोड़ का 6 लाख 20 हजार क्विंंटल चावल स्टॉक में उपलब्ध था। उसके बाद भी नया स्टॉक जारी किया गया। इसके अलावा 12 करोड़ की 31,990 क्विंटल शक्कर भी दुकानदारों ने खुले बाजार में बेच दी। उनकी इस चिट्ठी के बाद और अब राज्य में भाजपा की सरकार आने के बाद चावल घोटाले को दोबारा जांच शुरू कर दी गई है। इस मामले में खाद्य संचालनालय के अफसर भी घेरे में हैं। कुछ अफसर ऐसे भी हैं जिनकी नामजद शिकायत की गई है।

-13524 राज्य में राशन दुकान
-73,51,688 कुल राशन कार्ड

रायपुर में हाल-बेहाल: दुकानदारों से वसूली के मामले में अफसर भी फिसड्डी साबित हुए। जिले की 142 राशन दुकानों से 18 हजार क्विंटल चावल गायब हुआ था। अभी तक 6400 क्विंटल चावल की ही वसूली हो पाई है। इसके अलावा 269 क्विंटल शक्कर में 105 क्विंटल दुकानदारों ने वापस किया है। इन सभी दुकानदारों से वसूली इसी साल अप्रैल में कर लेनी थी, लेकिन अभी तक यह काम पूरा नहीं हो पाया है।

कायदे कानून को अंगूठा दिखाकर ऐसे हुआ चावल घोटाला

केंद्र और राज्य सरकार के नियमों के अनुसार खाद्य संचालनालय की ओर से हर महीने राशन कार्डों की संख्या के आधार पर राशन दुकानों के लिए चावल और शक्कर का कोटा जारी किया जाता है। इसके लिए फार्मूला तय है कि पहले दो महीने में पूरा कोटा दिया जाएगा। लेकिन तीसरे महीने में बीते दो माह में जो स्टॉक बचेगा उसे घटाकर ही नया स्टॉक दिया जाएगा। लेकिन पिछले पांच साल से खाद्य संचालनालय के अफसर स्टॉक को घटाए बिना ही चावल और शक्कर का कोटा जारी करते रहे। राज्य के कई लोकसभा सांसदों और विधायकों ने जब इसकी शिकायत केंद्र सरकार से की तो नवंबर 2021 में केंद्र सरकार ने इसकी जांच शुरू कराई। दिल्ली से कई बार अफसरों की टीम छत्तीसगढ़ आकर इस मामले के दस्तावेज जुटा चुकी है। यही वजह है कि इन्हीं दस्तावेजों के आधार पर अब इस घोटाले की फाइल फिर से खोली गई है।

पिछले साल तक की जाती रही घोटाले बाजी

इस मामले में राष्ट्रबोध की पड़ताल के अनुसार राशन दुकानों में बचे चावल को खुले बाजार में बेचने का गोलमाल 2017 से शुरू हुआ। इसका खुलासा तब हुआ जब केंद्र सरकार ने 30 सिंतबर 2022 को एक आदेश जारी कर कहा कि केंद्र सरकार से अब तक जितना चावल मिला है उसके स्टॉक का भौतिक सत्यापन किया जाए और स्टॉक पुणे के मेन सर्वर में अपडेट किया जाए। इससे पहले तक चावल लगातार खुले बाजार में बिकता रहा। सबसे ज्यादा फर्जीवाड़ा रायपुर, बिलासपुर, कोरबा, रायगढ़, मुंगेली, बलौदाबाजार, दुर्ग और राजनांदगांव की राशन दुकानों में किया गया। राज्यभर की राशन दुकानों को हर महीने करीब 28.76 लाख टन चावल आवंटन किया जाता है।

पांच साल की जांच में पता चला कि हर महीने राशन दुकानों में औसतन 200 क्विंटल चावल बचता है, यानी शत-प्रतिशत लोग चावल लेने नहीं आते हैं। चोरी, गबन और और घपले के माल को वापस करने के मामले में जब हमने कुछ जानकारों से बात की तो पता चला कि ऐसा कोई नियम ही नहीं है कि बाजार से चावल या शक्कर खरीदकर वापस सरकार को दिया जाए। राशन दुकानों में चावल-शक्कर की आपूर्ति केवल नागरिक आपूर्ति निगम से ही विधिवत की जा सकती है। खाद्य संचालनालय के कुछ अफसर भी इसमें शामिल हैं। उन सभी की शिकायत सीधे पीएमओ से की गई है।

चावल घोटाले के अलावा कोई और मामले की परतें उतरने वाली है, इस पर हम जल्द कुछ और बड़ा खुलासा करने वाले हैं।

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