दुर्ग, 08 अक्टूबर 2025/राष्ट्रीय पोषण माह 2025 के अंतर्गत जिला महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा पोषण जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। इसी कड़ी में ग्राम भानपुरी के आंगनबाड़ी केंद्र क्रमांक 2 की एक प्रेरणादायक कहानी सामने आई है, जो यह सिद्ध करती है कि नियमित गृहभेट, पोषण संबंधी सलाह, और सामुदायिक सहयोग से कैसे एक गर्भवती महिला का जीवन सकारात्मक रूप से बदल सकता है।
ग्राम भानपुरी की नई बहू श्रीमती पुष्पा ठाकुर, जिनकी यह पहली गर्भावस्था थी, को गर्भधारण के शुरुआती महीनों में उल्टी और भूख की कमी जैसी समस्याएं झेलनी पड़ी। गर्भवती होने के बावजूद उन्हें उचित पोषण की जानकारी नहीं थी, और परिवार भी इस स्थिति से चिंतित था। जानकारी के अभाव और शर्म के कारण पुष्पा अपनी समस्या खुलकर नहीं बता पा रही थीं। गांव को कुपोषण मुक्त पंचायत घोषित किए जाने के चलते महिला एवं बाल विकास विभाग की पर्यवेक्षक श्रीमती सोनल सोनी और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता श्रीमती शशि देवांगन ने पुष्पा के घर लगातार गृहभेंट करना शुरू किया। उन्होंने न केवल पुष्पा को सतत स्तनपान और गर्भावस्था के दौरान आवश्यक पोषण की जानकारी दी, बल्कि परिवार को भी जागरूक किया कि कैसे एक गर्भवती महिला की देखभाल करना आवश्यक है।
पोषण खजाना (पौष्टिक आहार), रेडी-टू-ईट फूड का नियमित सेवन, सप्ताह में तीन दिन हरी पत्तेदार सब्जियों का उपयोग, आयरन व कैल्शियम की गोलियों के सेवन जैसे उपायों से पुष्पा के स्वास्थ्य में उल्लेखनीय सुधार हुआ। पहले जहां उनका वजन मात्र 40 किलोग्राम और हीमोग्लोबिन 9 ग्राम था, वहीं गर्भावस्था के अंत तक उनका वजन 52 किलोग्राम और हीमोग्लोबिन 10.9 ग्राम तक पहुँच गया। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता दीदी पुष्पा को नियमित एएनसी (गर्भावस्था जांच) के लिए एएनएम के पास भी लेकर जाती रहीं। निरंतर देखभाल और मार्गदर्शन के चलते पुष्पा को गर्भावस्था के दौरान कोई जटिलता नहीं हुई। सफल प्रयासों का परिणाम यह हुआ कि दिनांक 27 सितंबर 2025 को राष्ट्रीय पोषण माह के दौरान ही पुष्पा ने शासकीय अस्पताल दुर्ग में एक स्वस्थ्य और सुंदर बिटिया को जन्म दिया। जन्म के समय बच्ची का वजन 2.700 किलोग्राम था, जो एक स्वस्थ प्रसव का प्रमाण है। आज पुष्पा का पूरा परिवार प्रसन्न है और महिला एवं बाल विकास विभाग की टीम को उनके मार्गदर्शन और सहयोग के लिए हृदय से धन्यवाद दे रहा है।