अहमदाबाद में चल रही एशियन एक्वाटिक्स चैंपियनशिप का माहौल उस वक्त बदल गया जब भारत की मेंस वॉटर पोलो टीम विवादों में घिर गई।
कारण?
खिलाड़ियों ने अपने स्विमिंग ट्रंक (अंडरवॉटर ड्रेस) पर भारत का तिरंगा लगाया।
ध्वज संहिता का उल्लंघन?
जैसे ही तस्वीरें वायरल हुईं, आरोप लगे कि यह राष्ट्रीय ध्वज का अपमान है।
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नियमों के मुताबिक, तिरंगा स्विमिंग कैप पर होना चाहिए था, न कि कमर के नीचे की ड्रेस पर।
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भारतीय कानून और ध्वज संहिता 2002 साफ कहती है कि—
राष्ट्रीय ध्वज कमर के नीचे के कपड़ों पर नहीं लगाया जा सकता।
तिरंगे का इस्तेमाल अंडरगारमेंट्स, कुशन, नैपकिन या रूमाल जैसी चीज़ों पर भी गैरकानूनी है।
मंत्रालय और IOA का एक्शन
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खेल मंत्रालय और भारतीय ओलिंपिक संघ (IOA) ने इस मामले को गंभीरता से लिया।
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स्विमिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (SFI) से रिपोर्ट तलब की गई।
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संदेश साफ: “ध्वज का सम्मान सर्वोपरि है।”
SFI का बचाव और गलती की कबूलियत
स्विमिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया ने बचाव में कहा—
“हमने वर्ल्ड एक्वाटिक्स (पहले FINA) के नियमों के हिसाब से झंडा लगाया था। वहां यह मान्य है कि फ्लैग को स्विमिंग किट के किसी भी हिस्से पर लगाया जा सकता है।”
लेकिन भारतीय कानून अलग कहता है।
इसलिए SFI ने अपनी गलती मान ली और घोषणा की:
“अब से तिरंगा सिर्फ स्विमिंग कैप पर ही लगाया जाएगा, ट्रंक पर नहीं।”
IOC और वर्ल्ड एक्वाटिक्स का दृष्टिकोण
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IOC चार्टर कहता है कि खिलाड़ियों के लिए झंडा लगाना अनिवार्य नहीं है।
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वहीं वर्ल्ड एक्वाटिक्स नियम फ्लैग लगाने की अनुमति देते हैं।
लेकिन भारत के कानून और संवेदनशीलता को देखते हुए अब बदलाव अनिवार्य हो गया है।
Bottom Line
एक छोटी-सी चूक ने भारत की टीम को बड़े विवाद में खड़ा कर दिया।
खेल हो या अंतरराष्ट्रीय मंच—तिरंगे का सम्मान हर हाल में सर्वोपरि है।
खिलाड़ियों ने भले ही अनजाने में गलती की हो, लेकिन यह घटना याद दिलाती है कि
“देश का झंडा सिर्फ गर्व की पहचान है, प्रयोग की वस्तु नहीं।”