अमेरिकी टैरिफ भारत के लिए ‘गोल्डन चांस’? डॉ. हिरानंदानी बोले – अब सेवा से ज्यादा स्वदेशी उत्पादों पर फोकस जरूरी

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अमेरिका की ओर से भारत पर बढ़ाए गए टैरिफ को लेकर जहां कई देशों में चिंता है, वहीं भारतीय उद्योगपति डॉ. हीरानंदानी ने इसे अलग नज़रिए से देखा है।
उनका कहना है कि—
यह भारत के लिए खतरा नहीं, बल्कि अवसर है।
मजबूरी में ही सही, लेकिन इससे भारत को सेवा आधारित मॉडल से आगे बढ़कर मैन्युफैक्चरिंग और इनोवेशन पर जोर देना होगा।


सेवा से मैन्युफैक्चरिंग की ओर शिफ्ट

डॉ. हिरानंदानी ने कहा कि भारत लंबे समय से एक सेवा-आधारित अर्थव्यवस्था के रूप में जाना जाता है।
आईटी, आउटसोर्सिंग और डिजिटल सेक्टर में भारत की पकड़ मजबूत है।
लेकिन आज की दुनिया में सिर्फ सेवाओं पर टिके रहना काफी नहीं है।

अमेरिकी टैरिफ भारत को यह संदेश देता है कि—
अब समय है कि हम ‘आत्मनिर्भर भारत’ की दिशा में तेज़ी से आगे बढ़ें और वैश्विक बाज़ार में अपने उत्पादों की ब्रांडिंग करें।


‘आत्मनिर्भर भारत’ को मिलेगी रफ्तार

डॉ. हिरानंदानी के मुताबिक—

  • अमेरिकी टैरिफ भारत के उद्योगों को लोकल मैन्युफैक्चरिंग पर ध्यान देने के लिए मजबूर करेंगे।

  • यह देश की इंडस्ट्रियल और इनोवेशन कैपेसिटी को नई दिशा देगा।

  • डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन का यह कदम दरअसल भारत के लिए विजन 2030 को और मजबूत करेगा।


ग्लोबल सप्लाई चेन में भारत की जगह

विशेषज्ञ मानते हैं कि चीन और अमेरिका के बीच बढ़ते तनाव के बीच भारत के पास यह सुनहरा मौका है कि वह ग्लोबल सप्लाई चेन में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाए।
टैरिफ का असर भारत को खुद पर भरोसा करने और ‘मेक इन इंडिया’ को नई ताकत देने में मदद करेगा।


Bottom Line

जहां अमेरिकी टैरिफ को दुनिया चुनौती मान रही है, वहीं डॉ. हिरानंदानी इसे भारत के लिए एक नई छलांग का अवसर मानते हैं।
सेवा आधारित अर्थव्यवस्था से आगे बढ़कर
स्वदेशी उत्पादों और इंडस्ट्रियल इनोवेशन पर जोर देना ही
भारत को वास्तविक आत्मनिर्भरता की राह पर ले जाएगा।


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