बिलासपुर में बिना फायर सेफ्टी पटाखा फैक्ट्री का संचालन

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खुले में बारूद, मजदूर धुएं और खतरे के बीच काम करने को मजबूर; आगजनी के बाद भी नहीं हुई जांच

छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में सुरक्षा मानकों को दरकिनार कर पटाखा फैक्ट्री का संचालन किया जा रहा है। शहर से सटे सरकंडा क्षेत्र के ग्राम बैमा में चल रही इस फैक्ट्री को नियमों को ताक पर रखकर लाइसेंस जारी कर दिया गया। हालात ये हैं कि मजदूर खुले बारूद के ढेर पर बैठकर पटाखे बना रहे हैं, लेकिन फैक्ट्री में फायर सेफ्टी की कोई व्यवस्था नहीं है।


फैक्ट्री का हाल: खुले में विस्फोटक, तीन छोटे कमरे और मजदूरों की जिंदगी दांव पर

  • फैक्ट्री में सिर्फ तीन कमरे बने हैं, जिनमें मजदूर बिना सुरक्षा उपकरणों के पटाखे तैयार कर रहे हैं।

  • बाहर खुले में अमोनियम क्लोराइड (सोरा), गंधक और चारकोल पाउडर की बोरियां पड़ी थीं।

  • मजदूर बारूद मिलाने का वैज्ञानिक तरीका नहीं जानते, अनुमान से पाउडर मिलाकर बारूद तैयार करते हैं।

  • पूरे प्लॉट का क्षेत्रफल 5.41 एकड़ है, लेकिन सुरक्षा इंतजाम शून्य।


चौकीदार ने खोली पोल

भास्कर की टीम जब ग्राहक बनकर फैक्ट्री पहुंची, तो चौकीदार कृष्ण कुमार सूर्यवंशी ने बताया कि यह फैक्ट्री इमरान खान उर्फ पप्पी की है, जिसकी दुकान ज्वाली नाला (कोतवाली थाने के सामने) पर है।

चौकीदार ने यह भी बताया कि दो दिन पहले जीएसटी की टीम फैक्ट्री में जांच करने पहुंची थी, लेकिन थोड़ी देर रुककर बिना कोई कार्रवाई किए लौट गई।


मजदूर बारूद के ढेर पर बैठकर बना रहे बम

  • तीन छोटे-छोटे कमरों में मजदूर पटाखे बना रहे थे।

  • एक कमरे में तैयार बम पैक कर रखे गए थे।

  • दूसरे कमरे में बिना शर्ट पहने मजदूर बारूद के ढेर पर बैठकर “टॉप टाइगर” बम बना रहे थे।

  • कमरे और मैदान दोनों जगह बारूद, पटाखों के छिलके और कागज बिखरे पड़े थे।


पिछले साल लगी थी भीषण आग

24 सितंबर 2024 को तोरवा थाना क्षेत्र के गुरुनानक चौक स्थित पटाखा गोदाम में आग लग गई थी।

  • धमाकों से आसपास दहशत फैल गई और लोग घर छोड़कर बाहर भागे।

  • करीब ढाई घंटे की मशक्कत और 8 फायर ब्रिगेड की मदद से आग पर काबू पाया गया।

  • इस घटना की जांच के लिए प्रशासन ने कमेटी बनाई थी, लेकिन रिपोर्ट आज तक सामने नहीं आई।


लाइसेंस और हकीकत

  • जिला प्रशासन के अनुसार, बिलासपुर में पटाखा बनाने का लाइसेंस केवल दो लोगों के पास है –

    1. तखतपुर का करीन फायरवर्क्स टाडा

    2. चांटीडीह निवासी मोहम्मद सलीम

  • तखतपुर की फैक्ट्री बंद हो चुकी है, लेकिन बैमा में यह अवैध फैक्ट्री अब भी धड़ल्ले से चल रही है।

  • स्थायी कारोबारियों की संख्या 24 और अस्थायी दुकानों की संख्या 160 से ज्यादा है।

  • लाइसेंस के बावजूद अधिकतर दुकानों और गोदामों में सुरक्षा उपकरण तक मौजूद नहीं।


शहर के बीच संचालित दुकानें और गोदाम

  • खपरगंज, गांधी चौक, जूनी लाइन, जवाली पुल, राजकिशोरनगर, गोलबाजार और रतनपुर जैसे घनी आबादी वाले इलाकों में पटाखा दुकानों और गोदामों का संचालन हो रहा है।

  • किसी भी जगह पर सुरक्षा मानकों का पालन नहीं किया जा रहा।

  • खतरे के बावजूद प्रशासन और फायर ब्रिगेड पर ही भरोसा।


SDM का बयान

एसडीएम मनीष साहू ने कहा –
“पटाखा फैक्ट्री हो या गोदाम, इनके लिए शासन ने स्पष्ट सुरक्षा मापदंड तय किए हैं। विभाग समय-समय पर निरीक्षण करता है।”


निष्कर्ष:
बिलासपुर में पटाखा फैक्ट्री और गोदामों की सुरक्षा मानकों की अनदेखी मजदूरों और आम जनता दोनों के लिए खतरा बनी हुई है। पिछले साल की भीषण आगजनी के बावजूद इस साल भी कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए। सवाल यह है कि प्रशासन कब तक केवल कागजी कार्यवाही करता रहेगा और लोगों की जान खतरे में डालता रहेगा?

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