सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को तमिलनाडु सरकार को निर्देश दिया कि वह राज्यपाल आर. एन. रवि के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर आगे बढ़ने से पहले ‘राष्ट्रपति संदर्भ’ के नतीजे का इंतजार करे।
दरअसल, राज्यपाल ने तमिलनाडु शारीरिक शिक्षा एवं खेल विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2025 को मंजूरी देने के बजाय राष्ट्रपति के पास भेज दिया था। इस कदम को राज्य सरकार ने चुनौती दी थी।
सुनवाई में क्या हुआ?
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चीफ जस्टिस (सीजेआई) बी. आर. गवई और जस्टिस के. विनोद चंद्रन की बेंच ने इस मामले की सुनवाई की।
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बेंच ने साफ कहा –
“आपको राष्ट्रपति संदर्भ पर हमारी सलाह का इंतजार करना होगा। मुश्किल से चार हफ्ते का समय लगेगा। यह फैसला 21 नवंबर से पहले आ जाएगा, क्योंकि तब तक जस्टिस गवई सेवानिवृत्त हो जाएंगे।”
क्यों अहम है यह मामला?
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तमिलनाडु सरकार का कहना है कि राज्यपाल ने अपने संवैधानिक अधिकारों से आगे बढ़ते हुए विधेयक को राष्ट्रपति के पास भेजा।
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जबकि संविधान के अनुसार, राज्यपाल केवल विशेष परिस्थितियों में ही विधेयक राष्ट्रपति को भेज सकते हैं।
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यह मामला सीधे तौर पर राज्यपाल की भूमिका और विधेयकों पर उनकी शक्तियों से जुड़ा हुआ है।
आगे क्या होगा?
अब इस मामले की सुनवाई संविधान पीठ के फैसले के बाद ही होगी।
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राष्ट्रपति संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट की सलाह आने के बाद यह साफ होगा कि राज्यपाल ने विधेयक को राष्ट्रपति के पास भेजकर संवैधानिक सीमा का उल्लंघन किया है या नहीं।
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यह फैसला आने वाले समय में राज्यपाल-सरकार संबंधों की परिभाषा तय करने में महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।
निष्कर्ष:
सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार से साफ कह दिया है कि फिलहाल याचिका पर आगे न बढ़े और राष्ट्रपति संदर्भ पर कोर्ट की सलाह का इंतजार करे। आने वाले चार हफ्तों में यह फैसला न सिर्फ तमिलनाडु बल्कि अन्य राज्यों के लिए भी संवैधानिक मिसाल बन सकता है।