नवा रायपुर के जंगल सफारी की स्टार बाघिन ‘बिजली’ अब नहीं रही। 8 साल की यह बाघिन इलाज के लिए गुजरात के जामनगर स्थित वनतारा सेंटर भेजी गई थी, जहां उसकी मौत हो गई। लेकिन मौत के बाद भी विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा।
अंतिम संस्कार की तस्वीर तक नहीं दिखाई गई
कांग्रेस नेता और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत ने बिजली की मौत पर बड़ा हमला बोला है। उनका आरोप है कि वन विभाग ने पूरी घटना को छिपाने की कोशिश की। न अंतिम संस्कार की तस्वीर जारी की गई और न ही सफारी प्रशासन ने पारदर्शिता दिखाई।
महंत का कहना है कि खबर तक वनतारा के इंस्टाग्राम पेज से मिली, जबकि छत्तीसगढ़ वन विभाग चुप्पी साधे रहा।
⚡ गर्भावस्था से बिगड़ने लगी थी तबीयत
महंत ने राज्यपाल को लिखे पत्र में दावा किया कि फरवरी 2025 में बिजली ने दो शावकों को जन्म दिया था। एक मृत पैदा हुआ और दूसरा भी कुछ ही दिनों में मर गया। तभी से उसकी तबीयत बिगड़ने लगी थी।
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सफारी में सोनोग्राफी मशीन तो थी, लेकिन टेक्नीशियन नहीं था।
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डॉक्टर बीमारी पहचान ही नहीं पाए और गलत इलाज करते रहे।
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जब हालत बेहद खराब हुई, तब उसे जामनगर भेजा गया।
वनतारा टीम ने भी इशारा किया कि अगर समय रहते बिजली को भेजा जाता, तो उसकी जान बच सकती थी।
भाजपा सरकार और वन विभाग पर महंत का हमला
महंत ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार आने के बाद से जंगल सफारी में कई वन्यजीव असमय मर चुके हैं। उन्होंने कहा –
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20 में से 18 पशु चिकित्सकों के पद खाली हैं।
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डॉक्टरों और अधिकारियों की लापरवाही ने बिजली की जान ली।
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मुख्य वाइल्डलाइफ वार्डन और डायरेक्टर पर तुरंत कार्रवाई हो।
वाइल्डलाइफ एक्टिविस्ट का भी सवाल
एक्टिविस्ट अजय दुबे ने भी कहा – बिजली की हालत ऐसी नहीं थी कि उसे लंबा सफर कराया जाता। रायपुर से जामनगर भेजने में देरी और लंबा ट्रांसपोर्ट खुद उसके लिए खतरनाक साबित हुआ।
बिजली की मौत का टाइमलाइन
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7 अक्टूबर: इलाज के लिए जामनगर भेजी गई।
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9 अक्टूबर: वहां पहुंची।
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10 अक्टूबर: वनतारा प्रशासन ने मौत की पुष्टि की।
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18 अक्टूबर: विपक्ष ने राज्यपाल से मामले में दखल की मांग की।
अब बड़ा सवाल यह है कि क्या बिजली की मौत सिर्फ एक नेचुरल लॉस है या वाकई लापरवाही और कुप्रबंधन की बड़ी कहानी?