भिलाई – गरीबों को पक्का घर दिलाने वाली प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) 2.0 का उद्देश्य है कि हर जरूरतमंद परिवार के सिर पर एक छत हो। लेकिन जिले के नगरीय निकायों की लापरवाही और सुस्ती इस योजना के लक्ष्य को पलीता लगा रही है। शासन द्वारा बार-बार निर्देश दिए जाने के बावजूद अब तक जिले से बेहद कम संख्या में प्रस्ताव भेजे जा सके हैं। इससे हजारों गरीब परिवारों का सपना अधूरा रह गया है।
राज्य शासन ने इस वर्ष जिले को कुल 9,255 आवासों के प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजने का लक्ष्य दिया था। मगर अब तक केवल 1,016 प्रस्ताव ही भेजे जा सके हैं। यानी महज 11 प्रतिशत। सबसे खराब स्थिति भिलाई नगर निगम की है, जिसने अब तक मात्र 5 प्रतिशत यानी 4,296 के मुकाबले सिर्फ 211 प्रस्ताव भेजे हैं।
अन्य निकायों की स्थिति भी बेहतर नहीं है। दुर्ग निगम ने 2,236 के लक्ष्य में से 276 (12%) प्रस्ताव भेजे हैं। रिसाली निगम ने 905 में से 96 (11%) और चरोदा निगम ने 815 में से 170 (21%) प्रस्ताव भेजे हैं। इसी तरह अम्लेश्वर नगर पालिका ने 87 में से 23 (26%), अहिवारा नगर पालिका ने 170 में से 22 (13%) और जामुल नगर पालिका परिषद ने 215 में से केवल 21 (10%) प्रस्ताव केंद्र को भेजे हैं। यानी पूरे जिले में काम बेहद धीमी गति से चल रहा है।
दरअसल, भारत सरकार ने वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए पूरे राज्य से 50,000 नए आवासों के प्रस्ताव मांगे हैं। इस पर 8 अक्टूबर को हुई राज्य स्तरीय बैठक में मुख्य सचिव ने सभी नगरीय निकायों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि 30 नवंबर तक सभी पात्र हितग्राहियों के प्रस्ताव तैयार कर भेजे जाएं, ताकि केंद्र सरकार से समय पर मंजूरी मिल सके और निर्माण कार्य प्रारंभ हो सके।
इसके बावजूद जिले के अधिकांश निकाय सुस्त रवैया अपनाए हुए हैं। फील्ड सर्वे, पात्रता सत्यापन और प्रस्ताव अपलोड करने की प्रक्रिया महीनों से अटकी हुई है। कई जगहों पर पात्र हितग्राही दस्तावेज जमा कर चुके हैं, लेकिन फाइलें अभी भी कार्यालयों में धूल खा रही हैं। शासन ने अब इस मामले में सख्त रुख अपनाया है। नगरीय प्रशासन विभाग ने चेतावनी दी है कि यदि तय समय-सीमा के भीतर लक्ष्य पूरे नहीं किए गए, तो संबंधित अधिकारियों और निकाय प्रमुखों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।