श के पहले डिजिटल ट्राइबल म्यूजियम की झलक..VIDEO:14 आदिवासी विद्रोह-सत्याग्रह की झांकी, ऑडियो-विजुअल डिस्प्ले; QR कोड से सुन-देख सकेंगे शौर्य-गाथा, 50 करोड़ में बना

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छत्तीसगढ़ के नवा रायपुर में देश का पहला डिजिटल ट्राइबल म्यूजियम बनकर तैयार हो गया है। शहीद वीर नारायण सिंह स्मारक सह आदिवासी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी संग्रहालय आदिवासी नायकों की वीरता, बलिदान और संघर्ष की कहानी बताने को तैयार है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी राज्य स्थापना दिवस के मौके पर 1 नवंबर को इस संग्रहालय का शुभारंभ करेंगे। 9.75 एकड़ में बने इस संग्रहालय को बनने में करीब 3 साल 5 महीने का समय लगा है। डिजिटल म्यूजियम के निर्माण में लगभग 50 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं। म्यूजियम में छोटी-बड़ी सब मिलाकर लगभग 40 से ज्यादा LED लगी हैं।

12 आदिवासी विद्रोह और 2 सत्याग्रह की जीवंत झांकी दिखाई गई है। डिजिटल स्क्रीन, ऑडियो-विजुअल डिस्प्ले और प्रोजेक्शन मैपिंग की सुविधा है। लोग अपने मोबाइल से QR कोड स्कैन कर हर गाथा को हिन्दी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में सुन और देख सकेंगे।

12 आदिवासी विद्रोह, 2 सत्याग्रह की जीवंत झांकी

शहीद वीर नारायण सिंह स्मारक सह आदिवासी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी संग्रहालय में स्वतंत्रता आंदोलन के समय छत्तीसगढ़ में हुए 12 आदिवासी विद्रोह और 2 सत्याग्रह का प्रदर्शन किया गया है। जिसे आप 14 गैलेरियों में देख पाएंगे।

म्यूजियम में हल्बा विद्रोह, सरगुजा विद्रोह, भोपालपट्टनम विद्रोह, परलकोट विद्रोह, तारापुर विद्रोह, लिंगागिरी विद्रोह, कोई विद्रोह, मेरिया विद्रोह, मुरिया विद्रोह, रानी चौरिस विद्रोह, भूमकाल विद्रोह, सोनाखान विद्रोह, झण्डा सत्याग्रह और जंगल सत्याग्रह के वीर आदिवासी नायकों के संघर्ष और शौर्य के दृश्य का जीवंत प्रदर्शन किया गया है।

QR कोड स्कैन कर देख-सुन सकेंगे गाथा

यहां दृश्यों को मूर्तियों को जरिए साथ ही डिजिटल स्क्रीन, ऑडियो-विजुअल डिस्प्ले और प्रोजेक्शन मैपिंग के जरिए दिखाया गया है। यहां आने वाले लोग अपने मोबाइल से QR कोड स्कैन कर हर गाथा को हिन्दी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में सुन और देख सकेंगे।

पत्तियों पर 14 विद्रोहों का जीवंत वर्णन

म्यूजियम के मुख्य प्रवेश द्वार से एंट्री करते ही लगभग 1400 वर्ष पुराने साल वृक्ष की प्रतिकृति बनाई गई है। इसकी पत्तियों पर सभी 14 विद्रोहों का जीवंत वर्णन किया गया है। संग्रहालय के ओरिएंटेशन रूम की बाहरी दीवारों पर शहीद वीर नारायण सिंह की शहादत संबंधी जानकारी जैसे जेल रिकॉर्ड, सुनाई गई सजा के आदेश की कॉपी जैसे सभी मूल दस्तावेज को डिस्प्ले किया गया है।

शहीद वीर नारायण सिंह के संघर्ष से संबंधित समाज द्वारा उपलब्ध कराई गई तलवार को भी संग्रहालय में संरक्षित कर प्रदर्शित किया गया है।

​​​​​साथ ही संग्रहालय परिसर में बिरसा मुंडा, रानी गाइडलो, गैंद सिंह, वीर गुण्डाधुर, सुकदेव पातर जैसे महान स्वतंत्रता संग्राम नायकों की प्रतिमा स्थापित की गई है।

सीनियर सिटिजन और दिव्यांग जनों के लिए भी सुविधा

कैंपस में एक तालाब भी है। साथ ही बाहरी कैंपस में स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े दृश्यों को भी तैयार किया गया है। जहां लोग सेल्फी और फोटो क्लिक कर सकते हैं। सीनियर सिटिजन और दिव्यांग जनों के लिए विशेष रैंप और बैठने की व्यवस्था की गई है। म्यूजियम में एक कैफेटेरिया भी बनाया गया है।

टिकट लेकर मिलेगा प्रवेश, अभी शुल्क तय नहीं

देश का पहला ट्राइबल डिजिटली म्यूजियम आदिम जाति अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान परिसर, नवा रायपुर में बनाया गया है। यहां भविष्य में इंट्री के लिए शुल्क भी देना होगा। फिलहाल, सरकार की ओर से इसके लिए कोई शुल्क निर्धारण की जानकारी नहीं दी गई है।

लेकिन म्यूजियम के कैंपस में प्रवेश करने के लिए टिकट काउंटर और चेक प्वाइंट भी बनाए गए हैं। जहां टिकट लेने के बाद ही लोग प्रवेश कर पाएंगे।

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