बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने कांस्टेबल रामनिवास मरकाम की हत्या के मामले में अहम फैसला सुनाते हुए आरोपी की अपील खारिज कर दी और आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखा है। कोर्ट ने साफ कहा कि मृतक की मुट्ठी में मिले बालों की DNA प्रोफाइलिंग और वाहन व पानी की बोतल पर मिले फिंगरप्रिंट्स इस केस में बेहद महत्वपूर्ण और पक्के वैज्ञानिक सबूत हैं।
यह फैसला चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बीडी गुरू की डबल बेंच ने सुनाया। कोर्ट ने माना कि ये सभी साइंटिफिक एविडेंस आरोपी को अपराध से सीधे जोड़ते हैं और घटनाक्रम की पूरी कड़ी स्थापित करते हैं, जिससे आरोपी की दोषसिद्धि पर कोई शक नहीं बचता।
क्या था मामला?
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कांस्टेबल रामनिवास मरकाम बुरकापाल थाने में तैनात था।
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11 जुलाई को वह अपनी बोलेरो गाड़ी से निकला, लेकिन वापस नहीं लौटा।
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उसकी खून से लथपथ लाश सुपनार गांव के केले के बागान के पास सड़क किनारे मिली।
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गर्दन और सिर पर गहरी चोटें थीं, वहीं बोलेरो की पिछली सीट के नीचे खून के निशान मिले।
जांच में कैसे खुला राज?
| सबूत | क्या मिला? |
|---|---|
| Hair Sample | मृतक की मुट्ठी में बालों का गुच्छा पाया गया |
| DNA Test | पुष्टि हुई कि बाल आरोपी सुरेश सरकार के हैं |
| Fingerprints | वाहन के रियरव्यू मिरर और पानी की बोतल पर मिले फिंगरप्रिंट्स भी आरोपी से मैच हुए |
| मकसद (Motive) | मृतक ने आरोपी की रिश्तेदार युवती से प्रेम विवाह किया था। आरोपी उसी महिला से प्रेम करता था और इसी रंजिश में हत्या की साजिश रची गई |
साजिश की पूरी कहानी
पूछताछ में पता चला कि आरोपी सुरेश सरकार को यह विवाह मंजूर नहीं था। उसने गुस्से में कांस्टेबल को मारने की योजना बनाई और कोलकाता में किसी को एक लाख रुपये की सुपारी देने की भी बात सामने आई। इसके बाद आरोपी ने रामनिवास को रोककर हमला किया और बेरहमी से हत्या कर दी।
हाईकोर्ट ने क्यों कहा “यह पक्का सबूत है”?
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DNA और फिंगरप्रिंट जैसे फॉरेंसिक प्रूफ सीधा अपराधी से जुड़ते हैं
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कोर्ट ने कहा कि ऐसे वैज्ञानिक साक्ष्य परिस्थितियों की मजबूत चेन बनाते हैं
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निचली अदालत की सजा को सही ठहराते हुए आरोपी की अपील खारिज कर दी गई
✅ अंतिम फैसला
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आरोपी – सुरेश सरकार
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सजा – उम्रकैद (आजीवन कारावास)
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हाईकोर्ट – सजा में कोई राहत नहीं दी