दक्षिणी दिल्ली के मालवीय नगर में आवारा कुत्तों के हमले में घायल हुई एक महिला ने दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाज़ा खटखटाते हुए 20 लाख रुपये के मुआवजे की मांग की है। कोर्ट ने इस शिकायत को गंभीरता से लेते हुए MCD (नगर निगम दिल्ली) को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।
⚕️ क्या है पूरा मामला?
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पीड़िता का नाम प्रियंका राय है, जो एक निजी बैंक में असिस्टेंट ब्रांच मैनेजर हैं।
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7 मार्च को वह बाइक से ऑफिस जा रही थीं, तभी आवारा कुत्तों ने उन पर हमला कर दिया।
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उनके शरीर पर 42 दांतों के निशान मिले और त्वचा से मांस तक अलग हो गया।
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प्रियंका ने कहा, “यह सिर्फ शारीरिक चोट नहीं थी, मानसिक, भावनात्मक और आर्थिक तौर पर भी जिंदगी प्रभावित हुई।”
करियर और कमाई पर भी पड़ा असर
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लंबे समय तक इलाज और बेड रेस्ट पर रहने के कारण लंबी छुट्टी लेनी पड़ी।
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इस वजह से वेतन कटौती और करियर ग्रोथ दोनों पर नकारात्मक असर पड़ा।
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मानसिक आघात से उबरने के लिए उन्हें मनोवैज्ञानिक की मदद लेनी पड़ी।
⚖️ किस आधार पर मांगा 20 लाख का मुआवजा?
प्रियंका राय ने अपनी मांग पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के 18 अगस्त 2023 के आदेश पर आधारित की है। इस आदेश में कहा गया था:
| आधार | तय मुआवजा |
|---|---|
| प्रति दांत के निशान | ₹10,000 |
| मांस त्वचा से अलग (0.2 सेमी पर) | ₹20,000 |
प्रियंका के अनुसार—
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42 बाइट मार्क × ₹10,000 = ₹4.2 लाख
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12 सेमी मांस अलग × ₹20,000 = ₹12 लाख
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मानसिक आघात = ₹3.8 लाख
➡️ कुल = ₹20 लाख
️ कोर्ट की वर्तमान स्थिति
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पीड़िता के वकील ने कहा – “हाईकोर्ट दूसरे हाईकोर्ट के आदेशों को मानने के लिए बाध्य नहीं होता, लेकिन यदि तर्क उचित हों तो उनका पालन किया जा सकता है।”
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दिल्ली हाईकोर्ट ने फिलहाल MCD को नोटिस भेजकर जवाब मांगा है।
⚠️ बड़ा सवाल – जिम्मेदारी किसकी?
यह मामला सिर्फ मुआवजे तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सवाल खड़ा करता है कि—
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क्या शहरों में आवारा कुत्तों की जिम्मेदारी नगर निगम की नहीं?
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पीड़ितों को न्याय और सहायता के लिए अदालत का रुख क्यों करना पड़ता है?
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क्या ऐसे मामलों के लिए एक तय राष्ट्रीय नीति होनी चाहिए?