ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर सिर्फ 10 या 100 रुपये से डिजिटल गोल्ड खरीदने का ट्रेंड तेजी से बढ़ा है। लेकिन इस आसान निवेश विकल्प के पीछे एक बड़ा खतरा भी छिपा है। भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने अब निवेशकों को चेतावनी जारी करते हुए साफ कहा है कि डिजिटल गोल्ड किसी भी रेगुलेटेड कैटेगरी में नहीं आता। ऐसे में अगर कोई गड़बड़ी होती है, तो निवेशक को सेबी से सुरक्षा या कानूनी संरक्षण नहीं मिलेगा।
सेबी ने अपनी प्रेस रिलीज में बताया कि कई ऑनलाइन प्लेटफॉर्म और ब्रांड डिजिटल गोल्ड या ई-गोल्ड के नाम पर निवेश का ऑफर दे रहे हैं, लेकिन ये न तो सिक्योरिटी के तहत आते हैं और न ही कमोडिटी डेरिवेटिव्स के अधीन रजिस्टर्ड हैं। इसका मतलब यह है कि ये पूरा क्षेत्र सेबी के अधिकार क्षेत्र से बाहर है। अगर किसी प्लेटफॉर्म पर धोखाधड़ी हो जाए या कंपनी दिवालिया हो जाए, तो निवेशकों के पास अपनी रकम सुरक्षित कराने का कोई कानूनी आधार नहीं रहेगा।
दिलचस्प बात यह है कि इस क्षेत्र में तनिष्क (Tanishq), MMTC-PAMP, फोनपे, कैरेटलेन और आदित्य बिड़ला जैसे बड़े नाम भी शामिल हैं। तनिष्क दावा करता है कि उनके प्लेटफॉर्म पर 24 कैरेट डिजिटल गोल्ड खरीदा जा सकता है और इसे कभी भी 350 से अधिक स्टोर्स पर ज्वेलरी में बदला जा सकता है। वहीं MMTC-PAMP खुद को डिजिटल गोल्ड मार्केट का लीडर बताता है। लेकिन ब्रांड बड़ा होने के बावजूद, सेबी ने साफ किया है कि अगर प्लेटफॉर्म फेल होता है या गोल्ड स्टोरेज में गड़बड़ी पाई जाती है, तो ग्राहक को सेबी से कोई राहत नहीं मिलेगी।
सेबी ने निवेशकों को यह भी याद दिलाया कि सोने में निवेश करने के लिए पूरी तरह सुरक्षित और नियामक ढांचे (Regulated System) वाले विकल्प पहले से मौजूद हैं। जैसे– गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स (Gold ETFs), इलेक्ट्रॉनिक गोल्ड रिसीट्स (EGRs) और गोल्ड फ्यूचर्स। ये सब स्टॉक एक्सचेंजों पर ट्रेड होते हैं और इनमें निवेश करना कानूनी सुरक्षा और पारदर्शिता के दायरे में आता है।
कुल मिलाकर बात यह है कि डिजिटल गोल्ड आकर्षक ज़रूर है—सस्ते में, बिना लॉकर्स के, बिना झंझट खरीदा जा सकता है—लेकिन सुरक्षा के मामले में यह अभी भी अनरेगुलेटेड और जोखिमभरा क्षेत्र है। इसलिए निवेशक सोच-समझकर ही कदम बढ़ाएं।