भारत की राजधानी दिल्ली में डॉक्टरों ने ऐसी उपलब्धि हासिल की है, जिसे मेडिकल साइंस के इतिहास में एक नया अध्याय माना जा रहा है। दिल्ली के द्वारका स्थित एचसीएमसीटी मणिपाल अस्पताल के डॉक्टरों ने एक मृत महिला के शरीर में दिल बंद होने के बाद सफलतापूर्वक ब्लड सर्कुलेशन फिर से शुरू किया, ताकि उसके अंगों को सुरक्षित रखकर अंगदान किया जा सके।
यह एशिया में पहली बार किया गया है और इसे एक बड़ी वैज्ञानिक और मानवीय उपलब्धि माना जा रहा है।
✅ क्या था पूरा मामला?
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मृतक महिला का नाम गीता चावला (55) था।
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वह मोटर न्यूरॉन डिजीज से पीड़ित थीं और लंबे समय से बिस्तर पर थीं।
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6 नवंबर 2025 की रात 8:43 बजे उनका निधन हो गया, क्योंकि परिवार ने जीवन रक्षक उपकरणों पर न रखने का निर्णय लिया।
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उनकी अंतिम इच्छा अंगदान करने की थी, इसलिए डॉक्टरों ने असंभव लगने वाले इस प्रयास को करने का फैसला लिया।
डॉक्टरों ने कैसे किया यह कारनामा?
डॉक्टरों ने एक उन्नत तकनीक Normothermic Regional Perfusion (NRP) का इस्तेमाल किया। इस प्रक्रिया में:
| स्टेप | क्या किया गया? |
|---|---|
| 1 | मरीज के मरने के बाद दिल की धड़कन पूरी तरह बंद हो चुकी थी। |
| 2 | डॉक्टरों ने मशीन ECMO (Extracorporeal Membrane Oxygenator) की मदद से शरीर में ब्लड सर्कुलेशन दोबारा चालू किया। |
| 3 | इससे ऑक्सीजन युक्त खून शरीर के अंगों तक पहुंचा और वे जीवित अवस्था जैसी स्थिति में सुरक्षित बने रहे। |
| 4 | फिर लीवर, किडनी, स्किन और कॉर्निया को सुरक्षित निकालकर अंगदान के लिए भेजा गया। |
अंगदान किसे मिला?
| अंग | जहां ट्रांसप्लांट हुआ | लाभार्थी |
|---|---|---|
| लीवर | ILBS अस्पताल, दिल्ली | 48 वर्षीय मरीज |
| किडनी | मैक्स अस्पताल, साकेत | 63 और 58 वर्षीय दो पुरुष |
| कॉर्निया व स्किन | अन्य जरूरतमंद मरीज | कई लोगों की मदद हुई |
यह उपलब्धि इतनी खास क्यों है?
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अब तक भारत और एशिया में सिर्फ ब्रेन डेथ की स्थिति में ही अंगदान संभव माना जाता था, क्योंकि उस दौरान दिल धड़कता रहता है और अंग सक्रिय रहते हैं।
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लेकिन इस केस में दिल रुक जाने के बाद भी अंगों को सुरक्षित रखा गया, जो सामान्यत: असंभव माना जाता था।
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NRP तकनीक से अब मृत अवस्था (circulatory death) के बाद भी अंगदान संभव होगा।
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इससे भारत में अंगदान की संख्या कई गुना बढ़ सकती है।
अंगदान की मौजूदा स्थिति (भारत)
| वर्ष | ब्रेन डेथ के बाद अंगदान करने वाले लोग |
|---|---|
| 2024 | 1,128 दानदाता |
| 2025 | NRP तकनीक से संख्या बढ़ने की संभावना |
डॉक्टर्स ने क्या कहा?
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डॉ. श्रीकांत श्रीनिवासन (मणिपाल अस्पताल) – “यह एशिया में पहली बार हुआ है। दिल रुकने के बाद अंगों को बचाना मेडिकल साइंस की बड़ी सफलता है।”
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डॉ. अवनीश सेठ – “अब भारत में हर मौत के बाद भी अंगदान संभव हो सकता है। यह लाखों लोगों को नई जिंदगी देने में मदद करेगा।”
निष्कर्ष
यह उपलब्धि सिर्फ मेडिकल साइंस की जीत नहीं बल्कि मानवता के लिए एक नई उम्मीद है। अब अंगदान की राह और आसान हो सकती है। एक महिला की अंतिम इच्छा ने कई लोगों को नई जिंदगी दी, और भारत को मेडिकल इनोवेशन का नया मुकाम भी।