भारतीय खेल इतिहास में रविवार का दिन ऐतिहासिक बन गया, जब भारत की दृष्टिबाधित महिला क्रिकेट टीम ने पहले ब्लाइंड महिला टी20 वर्ल्ड कप का खिताब जीतकर नया इतिहास रच दिया। कोलंबो के पी सारा ओवल में खेले गए फाइनल मुकाबले में भारत ने नेपाल को सात विकेट से हराकर यह उपलब्धि हासिल की। भारतीय गेंदबाजों ने नेपाल को 114/5 के स्कोर पर रोक दिया और लक्ष्य का पीछा करते हुए टीम ने मात्र 12 ओवर में 117/3 बनाकर मैच और खिताब दोनों अपने नाम कर लिए। पूरे टूर्नामेंट में भारत अजेय रहा और लीग स्टेज में श्रीलंका, ऑस्ट्रेलिया, नेपाल, अमेरिका और पाकिस्तान जैसी टीमों को हराया। सेमीफाइनल में भारत ने एक बार फिर ऑस्ट्रेलिया पर जीत दर्ज कर फाइनल में जगह बनाई।
इस ऐतिहासिक जीत के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टीम की सराहना करते हुए एक्स (पूर्व ट्विटर) पर लिखा कि यह उपलब्धि कड़ी मेहनत, टीम भावना और दृढ़ संकल्प का चमकता प्रमाण है। उन्होंने कहा कि हर खिलाड़ी एक चैंपियन है और भारतीय टीम की यह जीत आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनेगी। यह खिताब न सिर्फ एक ट्रॉफी है बल्कि यह भारत के दिव्यांग खेलों की पहचान, सम्मान और आत्मविश्वास की बड़ी जीत मानी जा रही है।
ब्लाइंड क्रिकेट अपनी खासियों के कारण सामान्य क्रिकेट से काफी अलग होता है। इसमें एक खास सफेद प्लास्टिक गेंद का इस्तेमाल किया जाता है, जिसके भीतर धातु की गेंदें होती हैं, ताकि गेंद लुढ़कते समय आवाज करे और दृष्टिबाधित खिलाड़ियों को उसकी दिशा और गति का अंदाजा हो सके। टीम में विभिन्न श्रेणियों के खिलाड़ी शामिल होते हैं, जिन्हें उनकी दृश्य क्षमता के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है।
दृष्टिबाधित महिला क्रिकेट टीम की इस अभूतपूर्व जीत के साथ ही भारत ने विश्व बॉक्सिंग कप फाइनल्स 2025 में भी वैश्विक स्तर पर दमदार प्रदर्शन किया। भारतीय मुक्केबाजों ने कुल 20 पदक—नौ स्वर्ण, छह रजत और पांच कांस्य—जीतकर अब तक का अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया। यह प्रदर्शन भारत की मुक्केबाजी के इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ता है, क्योंकि इतना बड़ा पदक haul इससे पहले कभी नहीं मिला था। प्रधानमंत्री मोदी ने इस जीत की भी सराहना करते हुए कहा कि भारतीय बॉक्सर्स ने रिकॉर्डतोड़ प्रदर्शन किया है और उनकी यह उपलब्धि राष्ट्र के लिए गर्व का विषय है। उन्होंने लिखा कि यह सफलता हमारे खिलाड़ियों की मेहनत, प्रतिबद्धता और साहस का परिणाम है और भारत के लिए गौरव का पल है।
क्रिकेट और बॉक्सिंग में मिली यह दोहरी जीत न केवल भारत की खेल शक्ति को दर्शाती है, बल्कि यह बताती है कि देश का हर खिलाड़ी—चाहे वह किसी भी श्रेणी या चुनौती से गुजर रहा हो—दुनिया के किसी भी मंच पर राष्ट्र का नाम रोशन करने की क्षमता रखता है। यह दिन भारतीय खेल इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में हमेशा के लिए दर्ज हो गया है।