सरगुजा के अमेरा कोल एक्सटेंशन खदान को लेकर महीनों से simmer हो रहा तनाव मंगलवार को अचानक विस्फोट की तरह फट पड़ा। खदान विस्तार के खिलाफ लामबंद ग्रामीण अचानक इस कदर उग्र हो गए कि विरोध प्रदर्शन हिंसक संघर्ष में बदल गया। लाठी-डंडे, गुलेल, कुल्हाड़ी—जो हाथ लगा, उससे ग्रामीणों ने पुलिस पर हमला बोल दिया। कुछ ही मिनटों में पूरा इलाका अराजकता में डूब गया और स्थिति पूरी तरह नियंत्रण से बाहर हो गई।
पुलिस प्रशासन के मुताबिक, प्रदर्शनकारियों ने बिना चेतावनी हमला किया। जवानों पर डंडों और पत्थरों की बरसात कर दी, जिसकी चपेट में आकर लगभग 40 पुलिसकर्मी घायल हो गए। कई ग्रामीण भी इस भिड़ंत में गंभीर रूप से जख्मी हुए हैं। स्थानीय सूत्र बताते हैं कि ग्रामीण लंबे समय से खदान विस्तार के पर्यावरणीय और सामाजिक प्रभावों को लेकर गुस्से में थे, लेकिन आज के माहौल में अचानक ऐसा कुछ हुआ जिसने हलचल को हिंसा में बदल दिया।
हालात तुरंत बिगड़ते देख पुलिस ने अतिरिक्त बल मंगवाया, मोर्चा संभाला और भीड़ को काबू में करने के लिए आँसू गैस के गोले तक तैयार कर लिए गए। क्षेत्र में सुरक्षा घेरा मजबूत कर दिया गया और हालात को शांत करने के लिए कई बिंदुओं पर पुलिस को तैनात किया गया। तनाव को गंभीरता से लेते हुए ADM सहित कई वरिष्ठ पुलिस अधिकारी मौके पर पहुंचे और हालात का जायजा लेने लगे। प्रशासन का पहला लक्ष्य था—किसी तरह हिंसा को रोकना और दोनों पक्षों को नियंत्रित रखना।
अमेरा कोल खदान विस्तार आखिर विवाद का कारण क्यों है? ग्रामीणों का साफ आरोप है कि खदान बढ़ने से उनकी उपजाऊ जमीन खत्म हो जाएगी, जलस्रोत प्रदूषित होंगे और पूरा इलाका असुरक्षित हो जाएगा। उनका कहना है कि खदान की गतिविधियाँ सालों से गांव को नुकसान पहुंचा रही हैं और विस्तार होने पर हालात और खराब होंगे। दूसरी ओर प्रशासन का दावा है कि परियोजना से रोजगार, विकास और मुआवजा जैसी राहतें मिलेंगी, जिनसे स्थानीय लोगों का जीवनस्तर सुधरेगा।
फिलहाल, पुलिस की कड़ी निगरानी में इलाका आंशिक रूप से बंद कर दिया गया है। गश्त बढ़ा दी गई है और किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए बल तैनात है। प्रशासन ग्रामीणों से बातचीत फिर से शुरू करने की कोशिश कर रहा है, लेकिन वातावरण अब भी तनाव से भरा है। अमेरा कोल माइंस क्षेत्र की हवा में चिंता, गुस्सा और असुरक्षा तीनों तैर रहे हैं—और स्थिति कब पूरी तरह शांत होगी, यह अभी कहना मुश्किल है।
