डिजिटल पहचान और वेरिफिकेशन के क्षेत्र में आधार का प्रभाव लगातार बढ़ रहा है, और नवंबर 2025 इसका सबसे बड़ा सबूत रहा। इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, आधार ऑथेंटिकेशन ट्रांजैक्शन्स 8.5% सालाना बढ़कर 231 करोड़ के ऐतिहासिक स्तर पर पहुंच गए—यह इस वित्त वर्ष का सबसे ऊँचा महीना रहा। अक्टूबर में यह संख्या 219.51 करोड़ थी, जबकि नवंबर ने इस रिकॉर्ड को और आगे बढ़ा दिया। यह बढ़त साफ दिखाती है कि भारत में डिजिटल सेवाओं पर भरोसा अब पहले से कहीं ज्यादा मजबूत हो चुका है।
सरकारी सेवाओं से लेकर बैंकिंग, सब्सिडी, वेरिफिकेशन और विभिन्न लाभ योजनाओं तक—आधार का इस्तेमाल तेजी से बढ़ा है। चाहे गांव हों या शहर, आधार-आधारित पहचान प्रणाली अब देश के डिजिटल ढांचे की सबसे महत्वपूर्ण कड़ी बन चुकी है।
फेस ऑथेंटिकेशन की लोकप्रियता भी तेजी से बढ़ रही है। नवंबर में करीब 60% पेंशनर्स ने सिर्फ चेहरे की स्कैनिंग का इस्तेमाल कर डिजिटल लाइफ सर्टिफिकेट जनरेट किया। यह AI-आधारित तकनीक एंड्रॉयड और iOS दोनों प्लेटफॉर्म्स पर उपलब्ध है और वेरिफिकेशन को आसान, तेज़ और पूरी तरह सुरक्षित बनाती है। नवंबर 2025 में कुल 28.29 करोड़ फेस ऑथेंटिकेशन हुए, जो नवंबर 2024 की तुलना में दोगुने से भी अधिक हैं—तब यह संख्या 12.04 करोड़ थी।
e-KYC ट्रांजैक्शन्स में भी रिकॉर्ड तोड़ बढ़ोतरी देखने को मिली। नवंबर 2025 में यह संख्या बढ़कर 47.19 करोड़ हो गई, जो पिछले साल की तुलना में 24% ज़्यादा है। बैंकिंग, फाइनेंशियल सर्विसेज, डिजिटल ऑनबोर्डिंग और इन्श्योरेंस सेक्टर में तेज़ और भरोसेमंद पहचान की जरूरत ने e-KYC को तेज़ी से मुख्यधारा में ला दिया है।
सरकार का कहना है कि इस तेज़ी से बढ़ते ऑथेंटिकेशन आंकड़े यह साबित करते हैं कि आधार-आधारित डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर अब भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था की धड़कन बन चुका है। हर महीने बढ़ती ऑथेंटिकेशन संख्या इस बात को मजबूत करती है कि देश और नागरिक दोनों डिजिटल सिस्टम पर पहले से कहीं ज्यादा निर्भर, सहज और आत्मविश्वासी हो चुके हैं।