दुर्ग, 04 दिसंबर 2025/ कलेक्टर श्री अभिजीत सिंह के मार्गदर्शन में “मोर गांव मोर पानी” अभियान के तहत दुर्ग जिले में जल संरक्षण को जन-आंदोलन का रूप दिया जा रहा है। जल संचय एवं भू-जल पुनर्भरण को बढ़ावा देने हेतु मनरेगा के माध्यम से बड़े पैमाने पर जल संरचनाओं का निर्माण स्वीकृत किया गया है।“मोर गांव मोर पानी” अभियान ने दुर्ग जिले में जल संरक्षण की दिशा में नई ऊर्जा और प्रभावशाली परिणाम दिए हैं। वाटर एब्जॉर्प्शन ट्रेंच जैसी संरचनाएं ग्रामीण क्षेत्रों में स्थायी जल प्रबंधन को मजबूत बना रही हैं और जल सुरक्षा के लक्ष्यों को साकार कर रहा हैं
यह अभियान छत्तीसगढ़ सरकार की एक महत्वपूर्ण पहल है, जिसका उद्देश्य पारंपरिक जल स्रोतों का पुनर्जीवन, वर्षा जल संचयन, भूजल स्तर में वृद्धि तथा जल संरक्षण के लिए सामुदायिक सहभागिता को मजबूत करना है।
अभियान के प्रमुख उद्देश्य वर्षा जल संरक्षण को ग्रामीण स्तर पर सामूहिक जिम्मेदारी बनाना, पारंपरिक जल स्रोतों कुएं, तालाब, जीर्णाेद्धार विभिन्न तकनीकों से भूजल रिचार्ज बढ़ाना जल संकट की संभावनाओं को कम कर भविष्य के लिए जल सुरक्षा सुनिश्चित करना है।
जिला पंचायत मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री बजरंग कुमार दुबे ने बताया कि जिले में विभिन्न जनपद पंचायतों के अंतर्गत वाटर एब्जॉर्प्शन ट्रेंच का निर्माण तेजी से किया जा रहा है- जनपद पंचायत दुर्ग के ग्राम पंचायत दमोदा में स्वीकृत राशि 6.47 लाख रूपए सृजित मानव दिवस 1678 कुल गड्ढे 1500, ग्राम पंचायत बोरई में स्वीकृत राशि 9.86 लाख रूपए सृजित मानव दिवस 3014 कुल गड्ढे 2500, ग्राम पंचायत अंजोरा ढाबा में स्वीकृत राशि 4.67 लाख रूपए सृजित मानव दिवस 912 कुल गड्ढे एक हजार।
इसी प्रकार जनपद पंचायत धमधा के ग्राम पंचायत दारगांव में स्वीकृत राशि 7.62 लाख रूपए सृजित मानव दिवस 935 कुल गड्ढे 450, ग्राम पंचायत रौंदा में स्वीकृत राशि 7.16 लाख रूपए सृजित मानव दिवस 456 कुल गड्ढे 210 किया जा रहा है। अभियान का प्रभाव वर्षा जल संचयन में वृद्धि, जल बहाव एवं मिट्टी कटाव में कमी भूजल स्तर में सुधार के सकारात्मक संकेत सामुदायिक सहभागिता से जल संरक्षण गतिविधियों को मिली मजबूती मनरेगा के माध्यम से ग्रामवासियों को सतत रोजगार उपलब्ध कराया जा रहा है।