रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो उपहार उन्हें भेंट किए, वे केवल औपचारिकता नहीं थे, बल्कि भारतीय परंपरा, कला और सांस्कृतिक गहराई का जीवंत परिचय थे। हर उपहार अपने भीतर भारत-रूस मैत्री की एक नई परत समेटे हुए था, और दोनों देशों के लंबे समय से चले आ रहे विश्वास व सहयोग को एक प्रतीकात्मक ऊंचाई देता नजर आया।
सबसे पहले पुतिन के लिए चुनी गई असम की फाइन ब्लैक टी थी, जो ब्रह्मपुत्र की घाटियों में बसने वाले प्रकृति के अनूठे संगम की तरह है। यह चाय अपने गहरे, माल्टी स्वाद, चमकीले रंग और सुगंध के कारण दुनिया भर में सम्मान पाती है। जीआई टैग से मान्यता प्राप्त यह चाय भारत की जलवायु, खेतिहर परंपरा और स्वाद के विज्ञान का सम्मिलित अनुभव कराती है। यह केवल पेय नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक भाव है जिसे मोदी ने प्रतीकस्वरूप पुतिन के साथ साझा किया।
इसके बाद सामने आया मुर्शिदाबाद का शानदार सिल्वर टी सेट, जिसने भारत की बारीक शिल्पकला को अपनी चमकदार सतह पर उकेरा हुआ था। पश्चिम बंगाल के कारीगरों की महीन नक्काशी से सजे इस सेट में भारत और रूस—दोनों देशों की चाय-संस्कृति का साझा भाव भी गूंजता है। जिस तरह दोनों देशों की मेहमाननवाज़ी में चाय एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है, ठीक उसी तरह यह उपहार भी दोनों के रिश्तों की सौहार्दपूर्ण गर्माहट का दूत बन गया।
महाराष्ट्र की हस्तनिर्मित चांदी की अश्व-मूर्ति इस उपहार श्रृंखला का एक और चमकदार अध्याय रही। यह घोड़े की प्रतिमा साहस, सम्मान और निरंतर प्रगति का प्रतीक मानी जाती है, और इसकी नक्काशी भारत की धातु-शिल्प परंपरा को आधुनिक संदर्भ में जीवंत करती है। इसे देखकर यह अहसास होता है कि भारत-रूस संबंध भी आगे बढ़ते हुए उसी गति और विश्वसनीयता के साथ आगे बढ़ रहे हैं, जैसा इस मूर्ति के अर्थ में निहित है।
आगरा की प्रसिद्ध पत्थरकारी कला से निकला संगमरमर का शतरंज सेट इस सूची में एक और कलात्मक मोती था। हाथ से तराशे गए श्वेत संगमरमर पर सेमी-प्रेशियस स्टोन की इनले वर्क, कारीगरों की पीढ़ियों से चली आ रही विरासत को दर्शाती है। ODOP पहल के अंतर्गत प्रोत्साहित होने वाला यह शिल्प केवल एक खेल का सेट नहीं, बल्कि धैर्य, रणनीति और सृजनात्मकता की भारतीय समझ का मूर्त रूप है—जो पुतिन के लिए एक सांस्कृतिक अनुभव बनकर पहुंचा।
कश्मीर की भूमि से चुना गया केसर, जिसे दुनिया “रेड गोल्ड” के नाम से जानती है, इस सांस्कृतिक उपहार यात्रा को और अधिक सुगंधित बना रहा था। कांग या जाफ़रान किस्म का यह केसर रंग, खुशबू और स्वाद के मामले में अद्वितीय है। जीआई टैग और ODOP मान्यता इसे और भी विशेष बनाती है। यह उपहार केवल एक मसाला नहीं, बल्कि कश्मीर की घाटियों, किसानों की मेहनत और भारत की सांस्कृतिक विविधता का प्रतीक बनकर सामने आया।
इन सबके बीच जो उपहार सबसे आध्यात्मिक और अर्थपूर्ण था, वह था श्रीमद भगवद गीता का रूसी अनुवाद। महाभारत के इस दिव्य ग्रंथ में अर्जुन और भगवान कृष्ण के संवाद केवल युद्ध के संदर्भ तक सीमित नहीं, बल्कि जीवन, कर्तव्य, धर्म और आत्मज्ञान की सार्वभौमिक शिक्षा हैं। पुतिन को गीता का रूसी संस्करण देकर मोदी ने भारत की आध्यात्मिक विरासत का एक अमूल्य अंश उनके हाथों में सौंपा—एक ऐसा उपहार जो संस्कृतियों के बीच एक पुल बनाकर ज्ञान के शाश्वत संदेश को आगे ले जाता है।
इस प्रकार मोदी द्वारा पुतिन को दिए गए उपहार महज वस्तुएं नहीं, बल्कि भारत की धरोहर, हस्तकला, प्रकृति, दर्शन और परंपरा का वह अद्वितीय संग्रह थे, जो भारत-रूस मैत्री को नई गहराई देते हुए भारतीय पहचान को दुनिया के सामने और अधिक चमकदार बनाते हैं।