भिलाई स्थित जवाहरलाल नेहरू चिकित्सालय एवं अनुसंधान केन्द्र (जे.एल.एन.एच.&आर.सी.) ने न्यूनतम इनवेसिव तकनीक के क्षेत्र में एक ऐसा अध्याय रचा है, जो चिकित्सकीय उपलब्धि के साथ-साथ क्षेत्रीय शल्य चिकित्सा की संस्कृति में निर्णायक परिवर्तन का संकेत भी है। ‘स्यूचर्ड लेप्रोस्कोपिक सिस्टोगैस्ट्रोस्टॉमी’ की सफलता इस बात का प्रमाण है कि जब संस्थागत क्षमता आधुनिक तकनीकी प्रगति के साथ तालमेल बिठाती है, तब रोगी-केन्द्रित उपचार के नए प्रतिमान संभव होते हैं।
इस जटिल ऑपरेशन का नेतृत्व डिप्टी मुख्य चिकित्सा अधिकारी (चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएँ) एवं यूनिट इंचार्ज (सर्जरी) डॉ. मनीष देवांगन ने किया। 32 वर्षीय ओडिशा के सीआईएसएफ जवान को छह माह से चली आ रही पैनक्रियाटाइटिस की पीड़ा लगातार पेट दर्द, भारीपन और जल्दी पेट भरने की शिकायतों का कारण ‘स्यूडोसिस्ट पैन्क्रियाज़’ निकला। यह पेट के पिछले हिस्से में बना द्रव-भरा थैला न केवल असहनीय असुविधा उत्पन्न करता है बल्कि जटिलताओं का भी बड़ा कारण होता है। साधारणतः इस स्थिति में ओपन सर्जरी की आवश्यकता पड़ती थी, जिसमें एक बड़ा चीरा, अत्यधिक दर्द और लंबी रिकवरी शामिल होते हैं। ऐसे में लेप्रोस्कोपिक मार्ग चुनना केवल एक तकनीकी निर्णय नहीं, बल्कि जे.एल.एन.एच.&आर.सी. की उन्नत चिकित्सा प्रक्रियाओं के प्रति प्रतिबद्धता का स्पष्ट पुनर्पुष्टि था।
ऑपरेशन पूरी तरह समन्वित टीमवर्क से संभव हुआ जिसमें, डिप्टी मुख्य चिकित्सा अधिकारी एवं यूनिट इंचार्ज (सर्जरी) डॉ. मनीष देवांगन; चीफ कंसल्टेंट, डॉ. धीरज शर्मा; डॉ. सौरभ धिवार; डीएनबी रेजिडेंट डॉ. मशूद बी. ; तथा नर्सिंग स्टाफ श्रीमती भगवती विश्वकर्मा और एमटीए श्री लोकेंद्र ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। एनेस्थीसिया टीम का नेतृत्व डिप्टी मुख्य चिकित्सा अधिकारी, डॉ. तनुजा आनंद, और कंसल्टेंट, डॉ. निलेश चंद्र ने किया। वहीं प्री-ऑपरेटिव रेडियोलॉजिकल मूल्यांकन में डिप्टी मुख्य चिकित्सा अधिकारी (रेडियोलॉजी), डॉ. धीरज गुप्ता, तथा कंसल्टेंट, डॉ. त्रिप्ति पारीक, के योगदान ने इस जटिल प्रक्रिया की रीढ़ मजबूत की।
परिणाम अत्यंत संतोषजनक रहा, रोगी ने बिना किसी जटिलता के तीव्र रिकवरी की और मात्र पाँच दिनों में चिकित्सालय से स्वस्थ होकर छुट्टी पा ली। ओपन सर्जरी की तुलना में यह अवधि काफी कम है, जो न केवल चिकित्सा गुणवत्ता का संकेत है बल्कि जे.एल.एन.एच.&आर.सी. के लिए एक ऐतिहासिक मील का पत्थर भी है।
चिकित्सालय प्रबंधन ने भी इस उपलब्धि को विशेष महत्व दिया। मुख्य चिकित्सा अधिकारी प्रभारी (चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएँ) डॉ. वीनीता द्विवेदी, ने संपूर्ण टीम की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह उपलब्धि भिलाई इस्पात संयंत्र के हितधारकों और स्थानीय समुदायों के लिए उच्च गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक है।
इसी क्रम में मुख्य चिकित्सा अधिकारी एवं सर्जरी विभागध्यक्ष डॉ. कौशलेंद्र ठाकुर, ने बताया कि जे.एल.एन.एच.&आर.सी. के इतिहास में यह पहली बार है जब इस प्रकार की उन्नत और जटिल प्रक्रिया को सफलतापूर्वक अंजाम दिया गया है, जिससे यह सिद्ध होता है कि सर्जिकल यूनिट अब अत्याधुनिक लेप्रोस्कोपिक सर्जिकल हस्तक्षेपों को आत्मविश्वास और सटीकता के साथ करने में सक्षम है।
संस्थान के व्यापक परिप्रेक्ष्य में, मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. उदय कुमार ने चिकित्सालय को पूरे क्षेत्र के लिए “वरदान” बताया, खासकर इसलिए क्योंकि इस तरह की विशेषीकृत सर्जरी पीएमजेएवाय के अंतर्गत निःशुल्क उपलब्ध है, जो सामाजिक समानता और समावेशी स्वास्थ्य सेवा का उत्कृष्ट उदाहरण है।
जवाहरलाल नेहरू चिकित्सालय एवं अनुसंधान केन्द्र, सेल-भिलाई इस्पात संयंत्र ने यह सिद्ध कर दिया है कि आधुनिक चिकित्सा मानकों को प्राप्त करना ही नहीं, बल्कि नए मानदंड स्थापित करना भी उसकी प्राथमिकताओं में शामिल है, ऐसे मानदंड जो सुरक्षित प्रक्रियाएँ, तीव्र रिकवरी और जनविश्वास की एक नई मजबूत धारा लेकर आते हैं।