अगले 5 साल में चैटबॉट्स से ₹450 लाख करोड़ की खरीदारी, दुनिया भर में शॉपिंग का तरीका बदल रहा

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क्रिसमस और नए साल जैसे बड़े मौकों पर खरीदारी का अंदाज़ तेजी से बदल रहा है। अब बड़ी संख्या में लोग गिफ्ट चुनने से लेकर कीमतों की तुलना और सही प्रोडक्ट ढूंढने तक का काम एआई चैटबॉट्स को सौंप रहे हैं। ये चैटबॉट्स यूजर की जरूरत समझते हैं, विकल्प छांटते हैं और कुछ ही सेकंड में यह सुझाव दे देते हैं कि क्या खरीदा जाए। आसान, तेज़ और पर्सनलाइज्ड अनुभव के कारण ऑनलाइन शॉपिंग में एआई की भूमिका लगातार बढ़ती जा रही है।

शॉपिफाई के एक सर्वे से पता चलता है कि हॉलिडे सीजन के दौरान अमीर देशों में करीब दो-तिहाई उपभोक्ता शॉपिंग के लिए एआई की मदद लेने का मन बना रहे हैं। खास बात यह है कि 18 से 24 साल की उम्र के 15 से 20 प्रतिशत युवा सीधे एआई टूल्स से खरीदारी की योजना बना रहे हैं। यह संकेत है कि आने वाली पीढ़ी के लिए चैटबॉट्स सिर्फ सहायक नहीं, बल्कि शॉपिंग का अहम माध्यम बनते जा रहे हैं।

मैकिन्जी की एक स्टडी के मुताबिक अमेरिका में चैटजीपीटी जैसे टूल्स का इस्तेमाल सामान्य रिसर्च के बाद सबसे ज्यादा शॉपिंग सलाह के लिए किया जा रहा है। रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि वर्ष 2030 तक दुनिया भर में 270 लाख करोड़ से लेकर 450 लाख करोड़ रुपये तक की खरीदारी चैटबॉट्स के माध्यम से हो सकती है। यह आंकड़ा बताता है कि एआई सिर्फ टेक्नोलॉजी ट्रेंड नहीं, बल्कि ग्लोबल रिटेल इकोनॉमी का बड़ा हिस्सा बनने की ओर बढ़ रहा है।

इस बदलते माहौल को देखते हुए ओपनएआई ने शॉपिफाई और एटसी जैसे प्लेटफॉर्म्स के साथ करार किया है, जिसके तहत व्यापारी चैटबॉट्स के जरिए अपने प्रोडक्ट्स बेच सकेंगे। इसके बदले ओपनएआई फीस लेगा। गूगल की नजर भी इस तेजी से बढ़ते एआई-शॉपिंग बाजार पर है, जिससे आने वाले समय में प्रतिस्पर्धा और तेज होने की संभावना है।

हालांकि हर ई-कॉमर्स कंपनी इस बदलाव से खुश नहीं है। अमेरिका में यूजर अपने एआई टूल्स से स्टोर का स्टॉक चेक करने, कीमतें देखने और सीधे खरीदारी करने लगे हैं, जिससे कई वेबसाइट्स को लग रहा है कि उनके और ग्राहकों के बीच एआई एजेंट्स आकर खड़े हो गए हैं। अमेजन ने ओपनएआई के एजेंट्स को अपनी साइट से जानकारी लेने से ब्लॉक कर दिया है और परप्लेक्सिटी पर मुकदमा भी चलाया है। अमेजन का आरोप है कि परप्लेक्सिटी का कॉमेट ब्राउज़र इंसान बनकर उसकी वेबसाइट के आसपास गतिविधियां करता है।

दूसरी ओर वॉलमार्ट ने बिल्कुल अलग रास्ता अपनाया है। अक्टूबर में कंपनी ने ऐलान किया कि जल्द ही उसके प्रोडक्ट्स सीधे चैटजीपीटी के जरिए खरीदे जा सकेंगे। मिजुहो बैंक के एनालिस्ट्स का मानना है कि वॉलमार्ट की वेबसाइट पर लगभग चार प्रतिशत विजिट पहले ही दूसरे माध्यमों के जरिए हो रही हैं, जो इस बदलाव की दिशा को दिखाता है।

एआई आधारित फैशन शॉपिंग टूल ‘डेड्रीम’ की फाउंडर जूली बोर्नस्टीन का कहना है कि कुछ कैटेगरी में चैटबॉट्स बेहद कारगर साबित हो रहे हैं। वैक्यूम क्लीनर जैसे प्रोडक्ट्स, जिनमें स्पेसिफिकेशन साफ और तुलनात्मक होते हैं, वहां एआई बेहतर सुझाव दे पाता है। कॉस्मेटिक्स जैसे प्रोडक्ट्स में, जहां स्पेसिफिकेशन के साथ निजी पसंद भी मायने रखती है, चैटबॉट्स ठीक-ठाक काम करते हैं। लेकिन फैशन जैसे पूरी तरह पर्सनल क्षेत्र में एआई अभी भी कई बार गलत साबित हो जाता है।

एआई के बढ़ते इस्तेमाल के बावजूद मानवीय संपर्क की अहमियत कम नहीं हुई है। ऑनलाइन शॉपिंग में बदलाव के चलते फिजिकल स्टोर्स को भी नई पहचान मिली है। शानदार डिस्प्ले, आकर्षक माहौल और मददगार स्टाफ के जरिए ब्रांड्स के पास खुद को पेश करने का एक अलग रास्ता खुला है। इसी साल शॉपिफाई के सर्वे में तीन-चौथाई लोगों ने माना कि शॉपिंग के दौरान वे इंसानों से बातचीत को महत्व देते हैं। यह आंकड़ा 2024 की तुलना में करीब पचास प्रतिशत अधिक है।

कुल मिलाकर, एआई चैटबॉट्स शॉपिंग की दुनिया को तेजी से बदल रहे हैं, लेकिन पूरी तरह इंसानी अनुभव की जगह लेने में उन्हें अभी वक्त लगेगा। आने वाले सालों में एआई और मानवीय संपर्क, दोनों मिलकर रिटेल का नया चेहरा गढ़ते नजर आएंगे।

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