भारत के विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने हाल ही में पांच दिवसीय रूस यात्रा की है। जयशंकर की पांच दिनी रूस यात्रा की पश्चिमी मीडिया ने कड़ी आलोचना की है। पीएम नरेंद्र मोदी के प्रतिनिधि के रूप में डॉ.एस.जयशंकर ने दिसंबर के आखिर में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव सहित कई महत्वपूर्ण नेताओं से मुलाकात की।
पश्चिमी मीडिया द्वारा विदेश मंत्री एस.जयशंकर की रूस यात्रा का विरोध करने पर उन्होंने जवाब दिया है। उन्होंने इस आलोचना को मीडिया की हताशा करार दिया। डॉ. एस जयशंकर ने कहा कि यह आलोचना, पश्चिमी मीडिया के दोहरे मानदंडों और लोकतंत्र पर उनके एकाधिकार को उजागर किया है।
मेरे दिमाग का खेल कर रहा है काम
डॉ. एस जयशंकर ने कहा कि अगर लोग मुझे नहीं समझ रहे हैं तो इसका मतलब है कि मेरा माइंड गेम काम कर रहा है। लेकिन ईमानदारी से जवाब यह है कि मुझे कोई कारण नहीं दिखता कि लोगों को कुछ लेना देना चाहिए। आप जानते हैं कि हमने हमेशा से कहा है कि रूस का संबंध हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण और बहुत स्थिर है।
लोकतंत्र की आलोचना पर क्या बोले एस.जयशंकर
विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने भारत में लोकतंत्र की लगातार हो रही आलोचना पर भी बात करते हुए कहा कि मैं इस बात पर ध्यान केंद्रित कर रहा हूं कि अपने (भारत के) रिश्तों का विस्तार कैसे किया जाए। यह दिमागी खेल है जो दूसरे लोग खेलते हैं कि एक लोकतंत्र के रूप में आपको यह करना चाहिए और वह करना चाहिए। कृपया आईने में देखें और मुझे बताएं कि आप एक लोकतंत्र के रूप में कैसा व्यवहार कर रहे थे। हर देश के अपने मूल्य और हित होते हैं और वे अपना संतुलन तलाशते हैं।
भारत का रूस से संतुलित संबंध
दरअसल, भारत का रूस के साथ बेहद संतुलित संबंध है। अमेरिका और कनाडा के साथ हालिया टकराव ने दोनों एशियाई देशों के बीच संबंधों को और मजबूत किया है। एस.जयशंकर ने कहा कि रूस यात्रा और इसकी सफलता पश्चिम के लिए एक जवाब के रूप में भी है। दरअसल, यह यात्रा अमेरिका के लिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि जो बिडेन और एंथनी ब्लिंकन के नेतृत्व में वैश्विक क्षेत्र में भारत की भूमिका को कम करने की कोशिश की गई है।