भारत-न्यूजीलैंड फ्री ट्रेड डील फाइनल: 50% से ज्यादा आयात कल से ड्यूटी फ्री, कीवी फल, सेब और ऊन होंगे सस्ते

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भारत और न्यूजीलैंड के बीच लंबे समय से चर्चा में रहा फ्री ट्रेड एग्रीमेंट अब औपचारिक रूप से फाइनल हो गया है। इस समझौते की घोषणा न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री Christopher Luxon ने करते हुए इसे दोनों देशों के आर्थिक रिश्तों के लिए मील का पत्थर बताया। उनका कहना है कि इस डील से न्यूजीलैंड के निर्यातकों को दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाले बाजार भारत तक सीधी और आसान पहुंच मिलेगी, जबकि भारतीय उपभोक्ताओं को कई आयातित उत्पाद पहले से सस्ते दामों पर उपलब्ध होंगे।

इस फ्री ट्रेड एग्रीमेंट के तहत न्यूजीलैंड से भारत आने वाले लगभग 95 प्रतिशत सामानों पर आयात शुल्क या तो पूरी तरह खत्म कर दिया गया है या उसमें बड़ी कटौती की गई है। सबसे अहम बात यह है कि 50 प्रतिशत से अधिक उत्पादों को समझौते के पहले ही दिन से ड्यूटी फ्री कर दिया जाएगा। इसका सीधा असर भारतीय बाजार पर पड़ेगा, जहां विदेशी उत्पादों की कीमतों में नरमी देखने को मिल सकती है।

इस समझौते का लाभ आम उपभोक्ताओं तक भी पहुंचेगा। न्यूजीलैंड से आने वाले कीवी फल, सेब और अन्य ताजे फलों पर टैक्स घटने से इनके दाम कम होने की संभावना है। इसके साथ ही ऊन, ऊन से बने कपड़े, लकड़ी और कुछ चुनिंदा डेयरी उत्पाद भी पहले की तुलना में अधिक किफायती हो सकते हैं। रोजमर्रा की जरूरतों और लाइफस्टाइल से जुड़े इन उत्पादों की कीमतों में कमी मध्यम वर्ग के लिए खास राहत लेकर आ सकती है।

आधे से ज्यादा उत्पादों के पहले दिन से ही ड्यूटी फ्री होने का मतलब यह भी है कि भारतीय बाजार में विदेशी फल, वाइन और डेयरी प्रोडक्ट्स पर टैक्स का दबाव कम होगा। तेजी से बढ़ते भारतीय मिडिल क्लास के लिए यह समझौता खर्च को संतुलित करने वाला साबित हो सकता है, क्योंकि बेहतर क्वालिटी के अंतरराष्ट्रीय उत्पाद अपेक्षाकृत कम कीमत पर उपलब्ध होंगे।

न्यूजीलैंड ने यह डील भारत की बढ़ती आर्थिक ताकत को ध्यान में रखकर की है। अनुमान है कि वर्ष 2030 तक भारत की अर्थव्यवस्था 7 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक की हो सकती है। बढ़ती आय, मजबूत उपभोक्ता आधार और बढ़ती खरीद क्षमता के कारण भारत न्यूजीलैंड के डेयरी, ताजे फल और ऊन उद्योग के लिए एक स्थायी और विशाल बाजार बन सकता है।

गौरतलब है कि भारत और न्यूजीलैंड के बीच इस व्यापारिक समझौते पर बातचीत करीब एक दशक तक ठप रही थी। इस साल मार्च में दोनों देशों ने फिर से वार्ता शुरू की और महज नौ महीनों के भीतर इसे अंतिम रूप दे दिया। इससे पहले भारत ऑस्ट्रेलिया और यूएई जैसे देशों के साथ भी ऐसे फ्री ट्रेड समझौते कर चुका है। पिछले पांच वर्षों में भारत कुल सात देशों के साथ एफटीए साइन कर चुका है, जो उसकी वैश्विक व्यापार रणनीति को दर्शाता है।

दोनों देशों के बीच व्यापारिक आंकड़े भी लगातार मजबूती की ओर इशारा कर रहे हैं। वित्त वर्ष 2021 में भारत का न्यूजीलैंड को निर्यात करीब 486 मिलियन डॉलर रहा, जबकि आयात लगभग 381 मिलियन डॉलर का था। आने वाले वर्षों में इस समझौते के प्रभाव से द्विपक्षीय व्यापार में और तेजी आने की उम्मीद है, जिससे दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं को दीर्घकालिक लाभ मिल सकता है।

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