शुक्रवार को भारतीय शेयर बाजार में कमजोरी साफ तौर पर नजर आई, जहां मुनाफावसूली और विदेशी निवेशकों की लगातार बिकवाली ने सेंटीमेंट पर दबाव बना दिया। कारोबार के दौरान बीएसई का प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स 400 अंक से ज्यादा टूट गया, जबकि एनएसई का निफ्टी 50 भी 26,050 के अहम मनोवैज्ञानिक स्तर से नीचे फिसल गया। छुट्टियों के कारण छोटा कारोबारी हफ्ता होने से निवेशकों की सतर्कता और बढ़ गई, जिसका असर बाजार की चाल पर साफ दिखा।
दोपहर करीब ढाई बजे सेंसेक्स लगभग 420 अंक यानी करीब आधा फीसदी गिरकर 84,990 के आसपास कारोबार करता दिखा। वहीं निफ्टी करीब 120 अंक टूटकर 26,022 के स्तर पर आ गया। बाजार की चौड़ाई भी कमजोर रही, जहां गिरने वाले शेयरों की संख्या बढ़त वाले शेयरों से ज्यादा रही। हालांकि दिन की इस गिरावट के बावजूद साप्ताहिक आधार पर तस्वीर थोड़ी संतुलित नजर आई और पूरे हफ्ते में सेंसेक्स और निफ्टी दोनों करीब 0.4 फीसदी की बढ़त में बने रहे, जिससे लगातार तीन हफ्तों की गिरावट का सिलसिला टूटता हुआ दिखाई दिया। इस साप्ताहिक मजबूती में मेटल शेयरों का योगदान अहम रहा, जिसे चीन में मांग बढ़ने, डॉलर में कमजोरी और अमेरिकी अर्थव्यवस्था के स्थिर ग्रोथ आउटलुक से समर्थन मिला।
शुक्रवार की गिरावट के पीछे कई कारण एक साथ काम करते नजर आए। सबसे पहले रुपये की कमजोरी ने बाजार की धारणा को झटका दिया। डॉलर के मुकाबले रुपया करीब 23 पैसे टूटकर 89.94 के स्तर तक पहुंच गया। विदेशी पूंजी के बाहर जाने और कच्चे तेल की कीमतों में हालिया रिकवरी से रुपये पर दबाव बढ़ा। क्रिसमस के चलते गुरुवार को बाजार बंद रहे थे, जिससे शुक्रवार को एक साथ दबाव देखने को मिला।
इसके साथ ही विदेशी संस्थागत निवेशकों की लगातार बिकवाली भी बाजार के लिए बड़ी चिंता बनी रही। बुधवार को एफआईआई ने करीब 1,721 करोड़ रुपये के शेयर बेचे और यह लगातार तीसरा सत्र रहा जब वे नेट सेलर बने। बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका में मजबूत आर्थिक आंकड़े और वहां की कंपनियों की बेहतर कमाई भारतीय बाजार से पूंजी के आंशिक रूप से बाहर जाने की वजह बन रही है, जिससे घरेलू शेयरों पर दबाव बना हुआ है।
कच्चे तेल की कीमतों में आई तेजी ने भी निवेशकों की चिंता बढ़ाई। वैश्विक बाजार में ब्रेंट क्रूड और डब्ल्यूटीआई दोनों में करीब 0.4 फीसदी की बढ़त दर्ज की गई, जिससे आयात पर निर्भर भारतीय अर्थव्यवस्था और महंगाई को लेकर आशंकाएं फिर उभरने लगीं। इसी माहौल में कई सेक्टरों में निवेशकों ने मुनाफावसूली को प्राथमिकता दी और निफ्टी 50 के कुछ बड़े शेयरों में दो फीसदी तक की गिरावट देखने को मिली।
विशेषज्ञों का कहना है कि साल 2025 के अब केवल कुछ ही कारोबारी दिन बचे हैं और जिस साल के अंत की तेज रैली की उम्मीद की जा रही थी, वह फिलहाल कमजोर पड़ती दिख रही है। किसी बड़े घरेलू या वैश्विक ट्रिगर के अभाव में बाजार आने वाले दिनों में मौजूदा स्तरों के आसपास ही सीमित दायरे में कंसोलिडेट करता नजर आ सकता है, जहां निवेशकों की नजर वैश्विक संकेतों और एफआईआई के रुख पर टिकी रहेगी।