नया साल आते ही संकल्पों की एक लंबी सूची बन जाती है। उत्साह ऊँचा होता है, उम्मीदें बड़ी होती हैं, लेकिन कुछ ही हफ्तों में वही संकल्प बोझ लगने लगते हैं। इसकी वजह संकल्पों की कमी नहीं, बल्कि उन्हें लेने का तरीका होता है। 2026 की शुरुआत अगर सच में मजबूत करनी है, तो लक्ष्य जोश में नहीं, सोच-समझकर तय करने होंगे। ऐसे लक्ष्य, जो दिखावे के लिए नहीं बल्कि आपके अपने जीवन, रुचियों और उद्देश्य से जुड़े हों।
जब कोई लक्ष्य भीतर से जुड़ा होता है, तो उसे निभाने के लिए अलग से प्रेरणा ढूँढनी नहीं पड़ती। मनोवैज्ञानिक शोध भी यही कहते हैं कि जब व्यक्ति “मुझे करना है” की भावना से लक्ष्य तय करता है, न कि “मुझे करना चाहिए” के दबाव से, तो बदलाव लंबे समय तक टिकता है। यही फर्क होता है अस्थायी संकल्प और स्थायी आदत के बीच।
इसलिए 2026 के संकल्प तय करते समय सबसे पहले अपने “क्यों” को समझना ज़रूरी है। खुद से यह सवाल पूछिए कि यह लक्ष्य आपके लिए क्यों मायने रखता है। अगर आप कहते हैं कि आप ज़्यादा पढ़ना चाहते हैं, तो यह सिर्फ आदत नहीं होनी चाहिए, बल्कि उस मूल्य से जुड़ा होना चाहिए जिसमें आप विश्वास करते हैं, जैसे सीखते रहना, खुद को बेहतर बनाना या सोच को व्यापक करना। जब लक्ष्य आपके मूल्यों से जुड़ता है, तो प्रतिबद्धता अपने आप मज़बूत हो जाती है।
साथ ही, बड़े और भारी-भरकम लक्ष्य अक्सर डर पैदा करते हैं। इसलिए उन्हें छोटे, साफ और व्यवस्थित कदमों में बदलना ज़रूरी है। लक्ष्य ऐसा हो जिसे आप रोज़मर्रा की ज़िंदगी में समाहित कर सकें। उसे अपने कैलेंडर में उसी गंभीरता से जगह दें, जैसे किसी ज़रूरी मीटिंग को देते हैं। जब लक्ष्य समय और प्राथमिकता के साथ जुड़ जाता है, तो वह केवल विचार नहीं रहता, आदत बनने लगता है।
इस सफर में अकेले चलने के बजाय भरोसेमंद लोगों को साथ लेना भी मददगार होता है। जब आप अपने लक्ष्य किसी दोस्त या परिवार के सदस्य से साझा करते हैं, तो एक स्वाभाविक जवाबदेही बनती है। यह जवाबदेही दबाव नहीं होती, बल्कि आपको रास्ते पर टिके रहने की याद दिलाती है।
सबसे अहम बात यह है कि रास्ते में लचीलापन बनाए रखें। जीवन हमेशा योजना के मुताबिक नहीं चलता। कभी रुकावट आए, कभी चूक हो जाए, तो खुद को दोषी मानकर सब छोड़ देना सबसे बड़ी गलती होती है। जरूरी यह है कि आप खुद को माफ करें, अपनी प्रगति को देखें और छोटी-छोटी उपलब्धियों का जश्न मनाएं। यही छोटे उत्साह आगे बढ़ने की गति बनाए रखते हैं।
2026 को सच में बदलने वाला साल बनाना है, तो संकल्प ऐसे लें जो बोझ नहीं, भरोसा बनें। जो बाहर से थोपे हुए नहीं, भीतर से चुने हुए हों। क्योंकि जो लक्ष्य दिल से निकलते हैं, वही साल के अंत तक आपके साथ खड़े रहते हैं।