भारतमाला घोटाले में ईडी की बड़ी दबिश, रायपुर–महासमुंद में भू-माफिया नेटवर्क पर तड़के छापे

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छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित भारतमाला परियोजना भू-अर्जन मुआवजा घोटाले में अब जांच का शिकंजा और कस गया है। प्रवर्तन निदेशालय यानी Enforcement Directorate ने इस केस में औपचारिक एंट्री करते हुए रायपुर और महासमुंद में एक साथ बड़ी कार्रवाई की है। तड़के करीब छह बजे ईडी की टीम ने जमीन दलाल हरमीत सिंह खनूजा, उसके रिश्तेदारों और घोटाले से जुड़े अफसरों के कुल नौ ठिकानों पर छापेमारी की। सूत्रों के मुताबिक इस कार्रवाई के दौरान एक आरोपी को हिरासत में लेकर पूछताछ भी की गई है।

यह पूरा मामला केंद्र की महत्वाकांक्षी Bharatmala Pariyojana से जुड़ा है, जिसमें 43 करोड़ रुपये के भू-अर्जन मुआवजा घोटाले के आरोप हैं। ईडी की 10 सदस्यीय टीम चार गाड़ियों में महासमुंद के मेघ बसंत कॉलोनी पहुंची, जहां हरमीत सिंह खनूजा के ससुर जसबीर सिंह बग्गा का निवास है। इसके अलावा टीम ने उनके आर्यन होंडा शोरूम में भी दस्तावेजों और डिजिटल साक्ष्यों की गहन जांच की। जिन ठिकानों पर दबिश दी गई, वहां से घोटाले से जुड़े इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड जुटाए गए और संबंधित लोगों से लंबी पूछताछ की गई।

जांच एजेंसियों के मुताबिक हरमीत सिंह खनूजा इस घोटाले का मुख्य आरोपी है। उस पर आरोप है कि उसने अपनी तहसीलदार पत्नी की भूमिका और राजस्व अधिकारियों से मिलीभगत के जरिए पूरे फर्जीवाड़े को अंजाम दिया। आरोप है कि जमीन के दस्तावेज बैक डेट में तैयार किए गए, जमीन को छोटे-छोटे टुकड़ों में बांटा गया और फिर National Highways Authority of India को मुआवजे के नाम पर 78 करोड़ रुपये का भुगतान दिखाया गया, जबकि वास्तविक मुआवजा इससे कहीं कम था।

घोटाले के खुलासे के बाद प्रशासनिक स्तर पर भी हलचल मची थी। कोरबा के डिप्टी कलेक्टर शशिकांत कुर्रे को सस्पेंड किया गया था और इससे पहले जगदलपुर निगम कमिश्नर निर्भय साहू पर भी कार्रवाई हो चुकी है। हालांकि इन अफसरों पर कार्रवाई जांच रिपोर्ट तैयार होने के करीब छह महीने बाद की गई, जिस पर भी सवाल उठते रहे हैं।

इस केस की समानांतर जांच Economic Offences Wing कर रही है। ईओडब्ल्यू पहले ही इस मामले में करीब आठ हजार पन्नों का चालान कोर्ट में पेश कर चुकी है। चार्जशीट में राजस्व विभाग के कई अधिकारी और कर्मचारी आरोपी बनाए गए हैं और कुल 10 लोगों के खिलाफ न्यायिक प्रक्रिया चल रही है। ईओडब्ल्यू का दावा है कि घोटाले से हरमीत सिंह खनूजा को करीब 23 करोड़ रुपये का फायदा हुआ, जो अधिक मुआवजा पाने वालों के खातों से उसके पास ट्रांसफर किए गए।

जांच में यह भी सामने आया है कि अभनपुर क्षेत्र के ग्राम नायकबांधा और उरला में जमीन को 159 खसरों में बांटकर 80 नए नाम रिकॉर्ड में जोड़ दिए गए। इससे 559 मीटर जमीन की कीमत 29.5 करोड़ रुपये से बढ़कर 70 करोड़ रुपये से ज्यादा दिखाई गई। अभनपुर बेल्ट में कुल 9.38 किलोमीटर सड़क के लिए 324 करोड़ रुपये मुआवजा तय किया गया था, जिसमें से 246 करोड़ का भुगतान हो चुका है, जबकि 78 करोड़ रुपये फिलहाल रोक दिए गए हैं।

कुल मिलाकर भारतमाला घोटाले में अब ईडी की एंट्री के बाद मामला सिर्फ राज्य स्तर तक सीमित नहीं रहा। छापेमारी और हिरासत की कार्रवाई से साफ संकेत मिल रहे हैं कि आने वाले दिनों में इस केस में और बड़े नामों पर शिकंजा कस सकता है।

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