दिल्ली के आवारा कुत्तों पर सियासी संग्राम: AAP–BJP आमने-सामने, आरोप-प्रत्यारोप से गरमाई राजनीति

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दिल्ली में आवारा कुत्तों के मुद्दे ने अचानक सियासी रंग पकड़ लिया है। आम आदमी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी इस सवाल पर आमने-सामने आ गई हैं कि आखिर इन कुत्तों की पहचान और नसबंदी जैसी जिम्मेदारियां किसकी हैं। आम आदमी पार्टी का आरोप है कि दिल्ली की भाजपा सरकार ने यह जिम्मेदारी शिक्षकों पर डाल दी है, जिससे बच्चों की पढ़ाई पर सीधा असर पड़ेगा। इसी आरोप को लेकर राजधानी की राजनीति में बयानबाज़ी तेज़ हो गई है।

इस पर पलटवार करते हुए दिल्ली के शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने आम आदमी पार्टी पर तीखा हमला बोला। प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा कि AAP ने दिनभर यह झूठा प्रचार किया कि अब दिल्ली में शिक्षक आवारा कुत्तों की गिनती करेंगे। उन्होंने इसे सरासर अफवाह बताते हुए कहा कि AAP की पूरी राजनीति झूठ पर आधारित है। आशीष सूद ने चुनौती दी कि अगर ऐसा कोई सरकारी परिपत्र मौजूद है तो उसे जनता के सामने लाया जाए, अन्यथा आम आदमी पार्टी को दिल्ली की जनता से माफी मांगनी चाहिए।

आशीष सूद यहीं नहीं रुके। उन्होंने कहा कि AAP लगातार ऐसे ही झूठ फैलाकर भ्रम पैदा करने की कोशिश कर रही है। उन्होंने सवाल उठाया कि जब भाजपा सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई कर रही है, तब आम आदमी पार्टी क्यों ऐसे लोगों के साथ खड़ी दिखाई देती है। शिक्षा के मुद्दे पर भी उन्होंने AAP पर हमला बोलते हुए कहा कि पार्टी ने अपने कार्यकाल में शिक्षा में कोई ठोस काम नहीं किया और अब नैतिकता की बातें कर रही है, जिसे दिल्ली की जनता पहले ही नकार चुकी है।

वहीं दूसरी ओर, आम आदमी पार्टी की तरफ से सौरभ भारद्वाज ने भाजपा सरकार पर पलटवार किया। उन्होंने एक कथित आदेश की प्रति सोशल मीडिया पर साझा करते हुए दावा किया कि भाजपा सरकार रोज़ अजीबो-गरीब आदेश निकाल रही है और अब आवारा कुत्तों की जिम्मेदारी शिक्षकों पर डाल दी गई है। सौरभ भारद्वाज ने तंज कसते हुए लिखा कि शिक्षक पढ़ाएंगे या आवारा कुत्तों की देखरेख करेंगे—यह सरकार को तय करना चाहिए।

इस पूरे विवाद ने एक बार फिर दिल्ली की राजनीति में आरोप-प्रत्यारोप की आग भड़का दी है। एक तरफ भाजपा इसे झूठा प्रचार बता रही है, तो दूसरी तरफ AAP सरकारी आदेश दिखाकर सवाल उठा रही है। आवारा कुत्तों की समस्या से शुरू हुआ यह मुद्दा अब शिक्षा व्यवस्था और प्रशासनिक फैसलों तक पहुंच गया है, जिसने राजधानी का सियासी पारा और चढ़ा दिया है।

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