खालिस्तान रेफेरेंदम : खालिस्तान समर्थकों को उम्मीद थी कि खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का दांव चल जाएगा लेकिन उसे भी सिखों ने सिरे से खारिज कर दिया।इसमें कोई भी नया सिख ग्रुप नहीं आया।
Khalistan Referendum Fail: कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो का भारत विरोधी अभियान फेल हो गया है। उनकी शह पर उधम मचा रहे खालिस्तान समर्थकों का जनमत संग्रह फ्लॉप साबित हो गया है। CNN News 18 की रिपोर्ट के मुताबिक, ब्रिटिश कोलंबिया के 15 गुरुद्वारों में दूसरी बार बुलाए गए जनमत संग्रह में 2000 लोग भी इकट्ठा नहीं हो सके। रिपोर्ट में कहा गया है कि मुश्किल से 1500 लोग ही अलग खालिस्तान के समर्थन में वोट कर पाए।
खालिस्तान समर्थकों को उम्मीद थी कि खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का दांव चल जाएगा लेकिन उसे भी सिखों ने सिरे से खारिज कर दिया। इस जनमत संग्रह में कोई भी नया सिख ग्रुप शामिल नहीं हो सका। रिपोर्ट में कहा गया है कि वहां केवल युवा समूह ही नजर आया। खालिस्तानियों ने उसी सरे शहर में जनमत संग्रह का आयोजन किया था, जहां जून में आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या जून में कर दी गई थी और ज्सिटन ट्रूडो ने उस हत्या में भारत की संलिप्तता के बेबुनियाद आरोप लगाए थे।
वैंकूवर सन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, रविवार को सरे में भी लोगों ने मतदान किया। यह सरे गुरुद्वारा में आयोजित किया गया दूसरा ऐसा जनमत संग्रह था। सीबीसी न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, सिख फॉर जस्टिस ने अनौपचारिक जनमत संग्रह के लिए ब्रिटिश कोलंबिया में दूसरे दौर का मतदान का आयोजन किया था।
खालिस्तान जनमत संग्रह के लिए पहला मतदान 10 सितंबर को ब्रिटिश कोलंबिया में आयोजित किया गया था लेकिन वह अधूरा रह गया था। 10 सितंबर को हुए पिछले जनमत संग्रह में 1.35 लाख वोटों का दावा किया गया था, लेकिन वास्तविक मतदान सिर्फ 2398 वोट ही था। जनमत संग्रह के सह-आयोजक गुरपतवंत सिंह पन्नू ने मीडिया को बताया कि वह 2024 में एबॉट्सफ़ोर्ड, एडमॉन्टन, कैलगरी और मॉन्ट्रियल में खालिस्तान जनमत संग्रह पर अधिक मतदान की योजना बना रहा है।
भारत और कनाडा के संबंध पिछले महीने सबसे खराब स्थिति में आ गए जब कनाडा के प्रधान मंत्री जस्टिन ट्रूडो ने जून में निज्जर की हत्या में भारतीय अधिकारियों के संभावित संबंध का आरोप लगाया था। भारत ने कनाडा के आरोपों को “बेतुका और बेबुनियाद” बताते हुए खारिज कर दिया था। भारत ने कनाडा से अपनी धरती से सक्रिय आतंकवादियों और भारत विरोधी तत्वों पर सख्ती बरतने को कहा था और कनाडाई लोगों के लिए वीजा सेवाएं निलंबित कर दी थीं।