जनवरी के महीने को थायरॉइड अवेयरनेस मंथ की तरह मनाया जाता है। थायरॉइड हमारे शरीर के लिए काफी आवश्यक होता है। यह हमारे मेटाबॉलिज्म को कंट्रोल करता है। इस ग्लैंड के साथ परेशानी की वजह से हाइपरथायरॉइडिज्म और हाइपोथायरॉइडिज्म की समस्या हो सकती है। इन दोनों ही कंडिशन्स की वजह से हमारा दिल पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। जानें कैसे थायरॉइड हमारे दिल को प्रभावित करता है।
हर साल जनवरी के महीने में थायरॉइड के बारे में जागरुकता फैलाने की कोशिश की जाती है क्योंकि यह थायरॉइड अवेयरनेस मंथ की तरह मनाया जाता है। थायरॉइड एक तितली जैसा दिखने वाला ग्लैंड होता है, जो हमारे गले के सबसे नीचले भाग में पाया जाता है। यह ग्लैंड थायरॉइड हार्मोन बनाता है, जो हमारे शरीर के लिए काफी आवश्यक होता है। जब यह ग्लैंड ठीक से काम नहीं करता, तो थायरॉइड डिसऑर्डर हो जाता है। यह ग्लैंड हमारे शरीर के लगभग हर हिस्से को प्रभावित करता है, जिसमें हमारा दिल भी शामिल है। आइए जानें कैसे थायरॉइड हमारे दिल को प्रभावित कर सकता है।
क्या है थायरॉइड?
मायो क्लीनिक के मुताबिक, थायरॉइड ग्लैंड एक बेहद महत्वपूर्ण हार्मोन रिलीज करता है, जो हमारे मेटाबॉलिज्म को कंट्रोल करता है। जब यह ग्लैंड अधिक हार्मोन रिलीज करने लगता है, उस कंडिशन को हाइपरथायरॉइडिज्म कहते हैं। जब यह कम हार्मोन रिलीज करता है, तो इसे हाइपोथायरॉइडिज्म कहते हैं। इन दोनों ही कंडिशन्स में कुछ लक्षण नजर आते हैं, जिनकी मदद से इनकी पहचान की जा सकती है।
हाइपोथायरॉइडिज्म के लक्षण-
- वजन बढ़ना
- थकावट
- अनियमित और हेवी पीरियड्स
- अधिक ठंड लगना
- कमजोर याददाश्त
- धड़कनों का धीमा होना
- मांसपेशियों में दर्द
हाइपरथायरॉइडिज्म के लक्षण-
- वजन कम होना
- अधिक भूख लगना
- अधिक गर्मी लगना
- हार्ट एरिथमिया
- अधिक पसीना आना
- अनियमित माहवारी
- मांसपेशियों का कमजोर होना
- सोने में तकलीफ
कैसे करता है यह दिल को प्रभावित?
थायरॉइड ग्लैंड के कम एक्टिव होने की वजह से, कम थायरॉइड हार्मोन बनता है, जिस वजह से कोलेस्ट्रॉल लेवल बढ़ सकता है। इस कारण से हमारी आर्टरीज में ब्लॉकेज हो सकती है, जो ब्लड प्रेशर बढ़ा सकता है या ब्लड सर्कुलेशन में बाधा बन सकता है, जो हमारे दिल के लिए काफी नुकसानदेह होता है। इस वजह से हार्ट अटैक और स्ट्रोक आने का खतरा रहता है। वही दूसरी तरफ, थायरॉइड हार्मोन की मात्रा बढ़ने की वजह से दिल की धड़कने अनियमित हो सकती हैं। ऐसा दिल के ऊपरी चेंबर में सिग्नल में डिस्टरबेन्स की वजह से होता है। साथ ही, यह ब्लड को एथेरोजेनिक यानी अधिक आर्टरीज में प्लेग बनना और हाइपकोएग्युलेबल यानी ब्लड वेसल्स में क्लॉटिंग होने की समस्या को बढ़ा देता है। इस वजह से ब्लड फ्लो में रुकावट आती है, जो दिल के लिए हानिकारक होता है।
इसलिए थायरॉइड के लक्षणों का पहचान कर, समय-समय पर इसका टेस्ट करवाएं और अपने डॉक्टर से सलाह लेकर इसका इलाज करवाएं, ताकि थायरॉइड के डिसऑर्डर को कंट्रोल किया जा सके।
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