मांढर गांव में गौ कथा के अवसर पर गौ कथा वक्ता पूज्य गोपालमणी जी महाराज उत्तराखण्ड वाले ने कहा कि छत्तीसगढ़ हमारे प्रभु राम जी का ननिहाल है, जहां पर कौशल्या माता मंदिर है उस गांव का नाम चन्दखुरी है। जिसका मतलब चन्द्र शब्द राम जी से लिया गया है और खुरी गौमाता के खुर से संबंधित है, अर्थात जिस स्थान पर भगवान राम गाय के खुर की धूली में उठना, बैठना, चलना-फिरना, दौड़ना – कूदना सीखे हैं, वही चन्द्रखुरी है । आज आयोध्याम में श्री रामलाल जी प्रतिष्ठा के अवसर पर सारा देश राम प्रतिष्ठा के उत्सव में हर्षित हो रहा है । तिथि, वार, नक्षत्र, लग्न के बारे में देश के धर्माचार्य अपनी दृष्टि से वेद शास्त्र सम्मत निर्णय दे रहे हैं, वही यदि हम रामचरित मानस से इस बारे में पूछे तो,
जोग, लगन, ग्रह, वार, तिथि, सकल मये अनुकूल ।
चर अस अचार हर्षजुत, राम जनम सुख कूल ।।
इस दोहे में योग, लग्न, ग्रहों की स्थिति नक्षत्र और तिथि की अनुकूलता की बात की गई है। किन्तु चर और अचर कहकर यहां पर पृथ्वी के दो स्वरूपों का उल्लेख किया है। धरती माता के जड़ और चेतन दो स्वरूप है, मिट्टी-पत्थर, पेड़-पौधे, नदी, सरोवर, झरने, समुद्र आदि जड़ स्वरूप है और गौमाता उसका चेतन स्वरूप है, अर्थात् जिस समय गौमाता हर्षित होगी वही रामलला प्रतिष्ठा का शुभ मुहुर्त बन जाएगा, इसलिए प्राण-प्रतिष्ठा के इस संवाद को केवल गौमाता ही हल कर सकती है, अतः रामलला की प्रतिष्ठा से पूर्व इस देश में गौमाता को राष्ट्र माता का सम्मान मिलना अत्यंत आवश्यक है।
अतः भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी गौमाता को राष्ट्र माता का सम्मान देकर रामलला की प्रतिष्ठा केवल भारत वर्ष ही नहीं सम्पूर्ण विश्व में शांति की स्थापना प्रशस्त कर सकते हैं, यही हमारे वेद शास्त्रों का सार है। गौ माता को प्रतिष्ठा दिये बिना रामलला को प्रतिष्ठा देना केवल औपचारिकता मात्र होगा। अतः देश की समस्त जनता की भावनाओं का सम्मान करते हुए सम्पूर्ण विश्व को आनन्द के समुद्र में निमग्न होने का सुअवसर प्राप्त हुआ हैं।