रायपुर : शबरी की भूमि शिवरीनारायण में आयोजित है श्रीराम लला प्राण प्रतिष्ठा रामोत्सव…

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रायपुर : राम नाम की धुन से गुंजित है पूरा स्थल, रामायण मंडलिया कर रही हैं मानस भजन कीर्तन। माता शबरी धैर्य और भक्ति का प्रतीक हैं। उनके इस पवित्र शिवरीनारायण धाम में मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय आज अयोध्या धाम में होने वाले श्री रामलला प्राणप्रतिष्ठा कार्यक्रम के अवसर पर पहुँचे हैं।

जिस तरह माता शबरी बरसों तक तपस्या कर श्रीराम का रास्ता निहारती रहीं। उसी तरह श्रीराम के ननिहाल के लोग छत्तीसगढ़ के निवासी भी श्रीराम का रास्ता बरसों से ताक रहे हैं। श्रीराम की प्राणप्रतिष्ठा होने के बाद अब प्रदेश के करोड़ों लोगों को गहरे आनंद का अनुभव होगा।

माता शबरी प्रतीक हैं छत्तीसगढ़ के लोगों के अपने भांजे श्रीराम के प्रति गहरे स्नेह की। अपनी भक्ति में उन्होंने जूठे बेर श्रीराम को खिलाए।

आज सभी छत्तीसगढ़ के वासी राम भक्ति का स्वाद चख रहे हैं और इस शुभ अवसर पर बहुत पुलकित हैं।

अयोध्या में श्री रामलला के प्राण प्रतिष्ठा के गौरवशाली क्षण में राममय है माता शबरी की भूमि शिवरीनारायण। त्रेता युग में इसी भूमि में श्रीराम को जूठे बेर माता शबरी ने खिलाये थे। आज शिवरीनारायण की धरती वैसी ही पुलकित है। आज श्रीराम पुनः अयोध्या धाम में पधारे हैं। आज इस शुभ क्षण को देखने शिवरीनारायण के हजारों लोगों की उपस्थिति दूर तक दिख रही है।

शुभ शंखनाद और राम रतन धन पायो के स्वर लहरियों के साथ श्री राम लला की प्राण प्रतिष्ठा के विलक्षण पल के साक्षी बन रहे हजारों लोग।

जय जय श्री राम का हो रहा लगातार हो रहा उद्घोष पायो जी मैंने राम रतन धन पायो की इस धुन में छत्तीसगढ़ का तंबूरा भी शामिल है। भगवान श्रीराम के दर्शन मात्र से सभी लोग धन्य हो गये हैं। भगवान श्रीराम के इस अद्भुत रूप को देखकर सभी मुग्ध हैं। खुशी का पारावार नहीं है। आज भारत के लोगों के लिए छत्तीसगढ़ के लोगों के लिए ऐतिहासिक दिन है।
शिवरीनारायण के इस पवित्र धाम से यह सुंदर दृश्य निहारना लोगों को चमत्कृत कर रहा है।

इस क्षण की बरसों से प्रतीक्षा थी। जैसे ही भगवान श्रीराम साक्षात रूप में नजर आये। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय, छत्तीसगढ़ प्रभारी श्री ओम माथुर, महंत राजेश्री रामसुंदर दास सहित अन्य जनप्रतिनिधि एवं नागरिकगण श्रद्धावनत होकर हाथ जोड़े खड़े हो गये।


भगवान श्रीराम की मंजुल मूर्ति देखकर सभी गहरी श्रद्धा में डूब गये। रघुपति राघव राजाराम के गीत के बीच हाथ जोड़े सभी लोग भक्तिभाव में डूबे रहे।

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