भिलाई : इस्पात नगरी भिलाई में पले-बढ़े मयंक जैन सात समंदर पार सेंट लुइस, मिसौरी, अमेरिका में हिंदी की ज्योत जगा रहे हैं। एक गैर-लाभकारी हिंदी पाठशाला हिंदी-यूएसए सेंट लुइस के माध्यम से मयंक जैन वहां के देश-विदेश और भारतीय मूल के बच्चों में हिंदी को बढ़ावा देने सक्रिय हैं। तीन दिन पहले 20 जनवरी को मयंक व उनके सहयोगियों ने छठवीं वार्षिक हिंदी कविता प्रतियोगिता आयोजित की। यह मध्य-पश्चिमी क्षेत्र अमेरिका की सबसे बड़ी हिन्दी प्रतियोगिता थी।
मयंक ने अपने इस प्रयास के बारे में बताया कि लगभग 6 साल पहले उन्होंने यह हिंदी स्कूल शुरू किया, ताकि वह यह सुनिश्चित कर सकें कि हमारी भाषा हमारी आगामी पीढ़ियों में संरक्षित रहे। खुद भी भिलाई में स्कूली स्तर की शिक्षा हिंदी माध्यम से पूरी करने वाले मयंक कहते हैं हिंदी भाषा वो माध्यम है, जिससे हम अपनी संस्कृति, त्योहार और परंपराओं से,अमेरिका में रह कर भी जुड़े रह सकते हैं। मयंक ने बताया कि उनके दोनों बच्चों का जन्म यहां अमेरिका में हुआ और दोनों भी पिछले 6 सालों से हिंदी लिखना-पढ़ना सीख रहे हैं। ठीक इसी तरह वह कोशिश कर रहे हैं कि यहां भारतीय मूल के साथ-साथ विभिन्न देशों के बच्चों में भी हिंदी की समझ पैदा करें। मयंक ने बताया कि उनकी पत्नी, डॉ. अंशु जैन भी भिलाई से हैं और इस पाठशाला की सह-संचालिका की जिम्मेदारी निभाते हुए सुनिश्चित करती हैं कि यहां हिंदी को बढ़ावा देने के साथ-साथ सभी सांस्कृतिक पहल उच्च गुणवत्ता के साथ हो।
अमेरिका के 120 से अधिक छात्रों ने हिंदी भाषा में पढ़ी अपनी कविताएँ
मयंक जैन ने बताया कि सैंट लुईस के हिंदू मंदिर के सांस्कृतिक भवन में 20 जनवरी को हुई कविता प्रतियोगिता की ख़ास बात ये रही कि, अमेरिका में पल बढ़ रहे 120 से अधिक छात्रों ने अपनी कविताएँ हिंदी भाषा में बोली। बच्चों ने “खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी”, “तुम मुझको कब तक रोकोगे” जैसी अनेक हिंदी कविताएँ सुनाईं। बच्चों ने राम लला की प्राण प्रतिष्ठा, देश प्रेम, शिक्षक का महत्व, नारी शक्ति और सामाजिक चेतना के अन्य कई विषयों पर कविताएँ प्रस्तुत की। 28 छात्रों ने 8 विभिन्न हिंदी ग्रेड स्तरों पर शीर्ष स्थान हासिल किया। विजेता अब मार्च में होने वाले हिंदी यूएसए के इंटर-स्कूल राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में हिस्सा लेंगे।प्रतियोगिता को निष्पक्ष बनाए रखने निर्णायक मंडल में विश्व कांत त्रिपाठी, मीरा जैन, अशोक गंगवानी, डॉ. प्रदीप सिंह और सुमन रौसारिया शामिल थे।
टीम से जुड़े हैं कई स्वयंसेवक
मयंक ने बताया कि उनका उद्देश्य अमेरिका हिंदी भाषा और भारतीय संस्कृति के ज्ञान का प्रसार करना है। इसमें उनके साथ स्वयंसेवक के तौर पर अनुपमा सिंह, पूजा शर्मा, सीमा जैन, मेघना लुंकड़, शुचि खंडेलवाल, शालिनी शर्मा, वीणा वैद्यनाथन, ऋतु माहेश्वरी, वंदना सिंह, कपिल कथरी, नेहा गुप्ता, जितेश गुप्ता, मंजरी शर्मा, सारिका गौबा, दीपशिखा आनंद, निधि सिंह, कार्तिका वंदवासी, प्रितपाल सिंह बिंद्रा, वीणिता सिंह, सोनिया जैन, विजयेन्द्र तरुण, चेतन शाह, शशि मणि, बरखा रावत, करिश्मा खन्ना, नम्रता त्रिपाठी और अन्य लोग लगातार सक्रिय हैं।