राज्य के एकमात्र तकनीकी विश्वविद्यालय, छत्तीसगढ़ स्वामी विवेकानंद तकनीकी विश्वविद्यालय, भिलाई इनके कुलपति के अवैध क्रियाकलापों के विरुद्ध हाईकोर्ट ने बड़ा आदेश दिया है! जिसके अनुसार इस यूनिवर्सिटी से संबद्ध निजी महाविद्यालयो के टीचिंग स्टाफ की समस्याओं की सुनवाई के लिए ट्रिब्यूनल गठित करना होगा। निजी कॉलेजों के माध्यम से चल रहे भ्रष्टाचार से निजात पाने के लिए बिलासपुर हाईकोर्ट ने बाकायदा ट्रिब्यूनल गठन करने के लिए समय सीमा भी तय कर दी है।
निजी इंजीनियरिंग कॉलेज में अध्यापन कार्य से जुड़े याचिकाकर्ता बी एल महाराणा एवम् एस के गांगुली सहित अन्य के द्वारा अपने वेतन, एरियर्स आदि समस्याओं के निराकरण हेतु पहले अपने कॉलेज प्रबंधन एवम् यूनिवर्सिटी को निवेदन किया था लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। यूनिवर्सिटी के कॉलेज कोड के अनुसार निजी कॉलेज के टीचिंग स्टाफ की सुनवाई के लिए यूनिवर्सिटी को एक ट्रिब्यूनल गठित करना चाहिए जो आज तक नहीं किया गया है।
इससे व्यथित होकर सभी याचिकाकर्ताओं ने अधिवक्ता विकास दुबे के माध्यम से उच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई जिसकी सुनवाई जस्टिस श्री अरविंद सिंह चंदेल के सिंगल बेंच में हुई। हाईकोर्ट ने याचिका निराकृत करते हुए छत्तीसगढ़ स्वामी विवेकानंद तकनीकी विश्वविद्यालय को कॉलेज कोड के प्रावधान का पालन कर तीन माह के भीतर ट्रिब्यूनल बनाने का आदेश दिया है। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिए हैं कि ट्रिब्यूनल गठन के अगले तीन माह में ट्रिब्यूनल याचिकाकर्ताओं के मामलो का निराकरण भी सुनिश्चित करेगा।
हाई कोर्ट के इस निर्णय को शिक्षक संघ की एक बड़ी उपलब्धि के रुप में देखा जा रहा है जिससे प्राइवेट कॉलेजों में कार्यरत शिक्षकों को आसानी से न्याय सुलभ हो सकता है लेकिन कुलपति डॉ एम के वर्मा ने अभी तक ट्रिब्यूनल का गठन नही किया है और इनकी उदासीनता से शिक्षकों के मामले अभी तक लंबित पड़े हैं। पहले भी कुलपति पर भ्रष्ट्राचार के कई आरोप लगाए जाते रहें हैं।
हैरानी की बात यह है कि आरती गड़बड़ी के एक मामले में दो सिद्ध हो चुके कुलपति एम के वर्मा बड़ी ही बेशर्मी से अपने पद में बने हुए हैं, जबकि पिछली कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के स्कूल जमाने के पुराने मित्र होने के कारण उन्हें कुलपति बनाए जाने का आरोप है। जबकि उनके कार्यकाल में जमकर भ्रष्टाचार हुआ और दर्जनों लोगों को अनासक रूप से सलाहकार बनाकर आज भी उन्हें मोटी तनक यूनिवर्सिटी द्वारा दी जा रही है जबकि विश्वविद्यालय की आर्थिक स्थिति दिन-ब-दिन भ्रष्टाचार के कारण कमजोर होती जा रही है जिसका सीधा असर शिक्षा की गुणवत्ता और प्राइवेट इंजीनियरिंग कॉलेज को मनमानी करने की छूट के रूप में भी नजर आ रहा है।