जापानी मून लैंडर स्लिम की जान भारत के चंद्रयान ने बचाई, JAXA ने एहसान माना…

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जापान ने भारत के चंद्रयान 2 की मदद से अपने मून मिशन को चांद पर उतारा. एजेंसी ने गुरुवार को पुष्टि की कि उसने मूल लक्ष्य लैंडिंग साइट से लगभग 55 मीटर पूर्व में ऐसा किया.

नई दिल्ली: जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (JAXA) का चंद्रमा लैंडर, स्मार्ट लैंडर फॉर इन्वेस्टिगेटिंग मून (SLIM), 20 जनवरी को चंद्रमा पर उतरा. एजेंसी ने गुरुवार को पुष्टि की कि उसने मूल लक्ष्य लैंडिंग साइट से लगभग 55 मीटर पूर्व में ऐसा किया. एजेंसी ने 100 मीटर की सटीकता के साथ लैंडिंग के अपने मुख्य मिशन को पूरा किया.

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार ऐसा जापान ने भारत के दूसरे मून मिशन चंद्रयान-2 की मदद से किया, जिसे तकनीकी रूप से ‘विफल’ माना जाता है. लेकिन जिसका ऑर्बिटर भारत और अन्य देशों के वाहनों का मार्गदर्शन करना जारी रखा है. JAXA ने गुरुवार को इसे लेकर एक बयान जारी किया है.

इसरो वैज्ञानिकों ने कहा कि चंद्रयान-2 ने साल 2019 में चंद्रमा पर उतरने का अपना अंतिम उद्देश्य भले ही हासिल नहीं किया हो, लेकिन इसका ऑर्बिटर लगभग पांच सालों से चंद्रमा से महत्वपूर्ण डेटा प्रदान कर रहा है. इसने पिछले साल अपने उत्तराधिकारी चंद्रयान-3 की सफलता को आकार देने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.

इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने शुक्रवार को कहा कि ‘हमने चंद्रयान-3 की लैंडिंग की योजना बनाने के लिए चंद्रयान-2 ऑर्बिटर से प्राप्त फोटो का विश्लेषण किया. इससे हमें वही गलतियां नहीं दोहराने में मदद मिली जो हमने अतीत में की थीं. यह भविष्य के चंद्र मिशनों की योजना बनाने में भी हमारी मदद करता रहेगा.’

मालूम हो कि 2 सितंबर, 2019 को, चंद्रयान -2 के लैंडर मॉड्यूल ने चंद्र सतह पर उतरने का प्रयास करने से पहले अंतिम यात्रा शुरू करने के लिए, ऑर्बिटर से सफलतापूर्वक खुद को अलग कर लिया. हालांकि, कुछ दिनों बाद, 7 सितंबर को, विक्रम लैंडर चंद्रमा पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया. हालांकि मिशन अपने इच्छित लक्ष्य को हासिल नहीं कर सका, लेकिन ऑर्बिटर पर मौजूद उपकरण तब से चंद्रमा की कक्षा से महत्वपूर्ण डेटा प्रदान कर रहा है.

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