छत्तीसगढ़ के एकमात्र तकनीकी विश्वविद्यालय भिलाई के CSVTU में आर्थिक गड़बड़ी के आरोपी कुलपति एम.के वर्मा के साढ़े 8 साल के कार्यकाल में जमकर आर्थिक अपराध, अनियमितता, भ्रष्टाचार हुआ। जिसके कारण न केवल विश्वविद्यालय की साख पर भट्टा लगा बल्कि हजारों युवाओं का भविष्य भी दांव पर लग गया। शिक्षा व चिकित्सा को समाज की रीढ (Back Bone)कहा जाता है लेकिन शिक्षा के मंदिर विश्वविद्यालय में ऐसे भारी भ्रष्टाचार और आर्थिक अपराध से शिक्षा जगत के पितामह महामना मदनमोहन मालवीय, डॉ हरिसिंह गौर जैसे तमाम शिक्षा शास्त्रियों की आत्मा रोती होगी। विशेषकर स्वामी विवेकानंद जी की आत्मा बहुत दुखी होगी क्योंकि उनके नाम पर स्थापित विश्वविद्यालय में उनके विचारों को कुलपति एवं उनके करिंदों नें पैरों तले रौंद दिया है।
छत्तीसगढ़ स्वामी विवेकानंद तकनीकी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ एम के वर्मा सत्ता के साथ चलने में इस कदर माहिर है कि अपना दो-दो कार्यकाल पूरा करने के बाद उन्हें पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के करीबी होने के कारण 1 साल का एक्सटेंशन मिल गया।
कुलपति मुकेश कुमार वर्मा के बारे में जग जाहिर है कि वह पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के स्कूली मित्र थे। यही कारण था कि वह बीते 5 साल में जमकर परिवारवाद के साथ भ्रष्टाचार करते रहे लेकिन जैसे ही छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार बनी वह फौरन सरकार से अपनी नजदीकी बनाने में लग गए ।
बीते 12 जनवरी को स्वामी विवेकानंद जयंती के नाम पर विभागीय मंत्री सहित तमाम भाजपा के सांसद विधायकों के नाम कार्ड छपवाकर एक कार्यक्रम आयोजित किया गया। हैरानी की बात है कि इस कार्यक्रम में एक ऐसे भवन और वैज्ञानिक उपलब्धि का उद्घाटन करवाया गया जिसका पूर्व में लोकार्पण हो चुका था।
छत्तीसगढ़ में 30 अप्रैल 2005 को पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के हाथों छत्तीसगढ़ स्वामी विवेकानंद तकनीकी विश्वविद्यालय भिलाई की आधारशिला रखी गई थी जिसका निर्माण पूर्ववर्ती छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार द्वारा किया गया। विश्वविद्यालय स्थापना काल से धीरे-धीरे काफी विकसित और समृद्ध हो रहा था लेकिन लेकिन चौथे क्रम में पदस्थ किये गये, पाटन निवासी भूपेश बघेल के बाल सखा कुलपति डॉ.एम के वर्मा सितंबर, 2015 में पदस्थ हुए जो पदस्थ होनें के दो वर्षों बाद दोहरा आर्थिक लाभ लेकर गंभीर आर्थिक अपराध में फंस गये। गंभीर आर्थिक घोटाले के आरोप के दौरान ही दिसंबर 2018 में प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बन गई और उसके उसके बाद तो मानो कुलपति एमके वर्मा को मनमानी करने की पूरी छूट ही मिल गई। कुलपति के विरुद्ध दोहरे आर्थिक लाभ के अपराध पर राज्य आर्थिक अपराध शाखा नें सरकार के दबाव में जांच रोक दिया गया ।
उनके रिश्तेदार के के वर्मा को कुलसचिव बना दिया गया जबकि वे इस पद के योग्य ही नहीं थे। फिर कुलसचिव और कुलपति की जुगलबंदी में भी यूनिवर्सिटी में जमकर गुल खिलाया। रजिस्टार केके वर्मा की बेटी और दामाद को लखनपुर इंजीनियरिंग कालेज अंबिकापुर से तकनीकी विश्वविद्यालय में पदस्थ करा दिया गया। कुलसचिव के दामाद अंकित अरोरा भारत सरकार के तकनीकी शिक्षा को सशक्त करनें के प्रोजेक्ट TEQIP 3 में करोडों के घपले घोटाला में आरोपी हैं, इस प्रोजेक्ट के मुख्य घोटालेबाज उस इंजीनियरिंग कालेज का प्राचार्य डॉ आर एन खरे हैं जिन्हें भी कुलपति का संरक्षण मिला हुआ है।
5 जनवरी 2019 से कुलपति नें अपनी मनमानी करते हुए सैकड़ों औचित्यहीन नियक्तियां की जबकि 2017 में कर्मचारियों के विभिन्न पदों के लिए विज्ञापन प्रकाशित कराया जिसके तहत लाखों नवयुवकों नें शुल्क के साथ आवेदन जमा किया। करोडों रूपये का शुल्क विश्वविद्यालय में जमा हुआ। बकायदा लिखित परीक्षा भी विभिन्न परीक्षा केन्द्रों में आयोजित की गई लेकिन आज दिनांक तक परीक्षा परिणाम घोषित नहीं किया गया और न ही परीक्षा निरस्त की गई। प्रदेश के शिक्षित युवाओं के साथ घोषित धोखाधडी की गई तथा करोडों रूपये के प्राप्त शुल्क से कुलपति नें अपनें लिए इनोवा तथा अपनें चहेतों के लिए सियाज, एर्तिगा तथा बोलेरो जैसी गाडियां खरीदी की।
भूपेश सरकार के शह पर बड़ी संख्या में दैनिक होगी कर्मचारियों की नियुक्ति कर चहेतों को उपकृत करनें का काम कुलपति नें किया। यही है लोकधन(Public Money) का दुरूपयोग।कुलपति नें अपने राजनीतिक लाभ के लिए अपने कम खास दो दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को किशोर भारद्वाज और विवेक मिश्रा को उच्चतम वेतन सहित वाहन सुविधा सहित अनेक हवाई यात्रा भी उपलब्ध करवाई गई यानी इन दोनों कृपा पत्र दैनिक वेतन भोगियों के ऊपर लाखों रुपए पानी के जैसे बहाए गए।
गौर करने वाली बात यह है कि कुलपति का पद संवैधानिक पद है जिसमें कुलपति के लिए वेतन भत्ता सुविधाओं का लाभ नियत है लेकिन अन्य किसी भी स्रोत से मानदेय पारिश्रमिक पानें का अधिकार नहीं हैं फिर भी कुलपति नें तकनीकी विश्वविद्यालय के निर्माणाधीन भवन तथा अन्य शासकीय भवनों की Structure Design का Principal Investigator के रूप में PWD व अन्य विभागों से लगभग रूपये 20 लाख से भी अधिक की राशि कंसल्टेंशी के रूप में अपनें बैंक खाते में प्राप्त की। चौंकाने वाली बात यह है कि कुलपति के पास Structure डिज़ाइन की न तो कोई डिग्री है और न ही कोई विशेषज्ञता इसके बावजूद नियम विरुद्ध मनमानी चलती रही। इसी तरह मानव रहित ड्रोन के सर्वे से विश्वविद्यालय के विकास के लिए प्राप्त राशि से भी कुलपति नें कंसल्टेंसी फीस ले लिया।
आपको यह जानकर बहुत हैरानी होगी कि कुलपति अपने कमरे में किसी पुराने अंग्रेज अधिकारी की तरह अपने आसान को खास तौर से ऊंचा बनाकर बैठते हैं जबकि देश के सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की बैठक व्यवस्था समतलीय समकक्षीय है यहां तक की महामहिम राष्ट्रपति उप राष्ट्रपति प्रधानमंत्री राज्यपालों की बैठक व्यवस्था समतलीय है लेकिन तकनीकी विश्वविद्यालय भिलाई के कुलपति डॉ एम के वर्मा की बैठक व्यवस्था पुराने अंग्रेजों की तरह ऊंचे डायस पर है जो कि सभी संवैधानिक पद धारियों का अपमान है तथा गंभीर कदाचरण है।
कुलपति और कुलसचिव नें सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 की धज्जियां उठाते हुए सार्वजनिक हितों से जुडी जानकारी को भी नहीं देते जिससे उनके भ्रष्टाचार की पोल भी दब जाती रही।
तकनीकी विश्वविद्यालय भिलाई के यूटीडी में नियमित शिक्षकों की भर्ती में भारी घोटाला जातिवाद परिवारवाद भ्रष्टाचार हुई जैसा कि छत्तीसगढ़ पीएससी में हुआ है लेकिन भूपेश सरकार व कुलपति के भय से पात्र योग्य उम्मीदवार शिकायत नहीं किये जबकि साहस करके एक युवती नें उच्च न्यायालय बिलासपुर में याचिका दाखिल किया जिसे न्यायालय नें स्वीकार कर सभी पक्षों को नोटिस जारी कर जवाब देनें को कहा है। कुलपति विश्वविद्यालय में जब मर्जी हुई तब दोपहर 2-3 बजे के बाद ही पधारे। विगत नवंबर 23 से जनवरी 2024 तक वे बमुश्किल दो चार बार एकाध घंटे के लिए आये बाकी समय सरकार बदलते ही मंत्री विधायकों नेताओं के दरवाजे पर बहुत समय बिता रहे हैं।
राष्ट्रबोध ने कुलपति की मनमानी भ्रष्टाचार आर्थिक अपराध अनियमितता सहित सभी गतिविधियों कोई दुर्ग के व्हीसलब्लोवर ओ पी मिश्र से इस बारे में बात की। तो ओपी मिश्रा ने बड़ी ही निर्भीकता के साथ 2021 से जनवरी 2024 तक विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति सह राज्यपाल महोदय को अपने शिकायती पत्रों के माध्यम से अवगत कराते रहे लेकिन राजभवन के अधिकारी सभी शिकायतों को सचिव तकनीकी शिक्षा छत्तीसगढ़ शासन को भेजते रहे लेकिन भूपेश बघेल सरकार के रहते सभी शिकायतों को दबाया जाता रहा.कुलपति व्हीसलब्लोवर ओ पी मिश्र को डरानें धमकानें का भी काम किया। उनके विरुद्ध साजिश षडयंत्र रचकर झूठे मामले में फंसा कर जेल भेजनें का भरपूर कुत्सित प्रयास भी किया लेकिन धन्यवाद उच्च न्यायालय का जिसनें प्रथम दृष्टया न्याय दिया और कुलपति के मंशूबों में पानी फेर दिया।
जब हमनें व्हीसलब्लोवर ओ पी मिश्र से संपर्क कर जानना चाहा तो उन्होंने कहा कि शिक्षा के मंदिर विश्वविद्यालय जैसे पवित्र संस्थान में पदस्थ कुलपति को बर्खास्त कर उनके विरुद्ध पुलिस में अपराध दर्ज होनें तक लडाई जारी रखेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी नें देश के आम नागरिकों से भ्रष्टाचारियों के विरुद्ध आवाज़ उठानें का आव्वाह्न किया है। अत: मोदी जी के आव्वाह्न पर मैंनें आवाज उठाया है। उन्हें विश्वास है कि छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार जिन संकल्पों को लेकर सत्तारूढ हुई है निश्चित ही मोदी की गारंटी को पूरा करेगी तथा तकनीकी विश्वविद्यालय के कुलपति को उनके अपराधों के आधार पद तत्काल बर्खास्त करेगी।